महू/इंदौर .इंदौर में बीते मंगलवार को बायपास पर सड़क हादसे में मृत आर्मी वॉर कॉलेज में पदस्थ सिविल कोटे के लोअर क्लर्क जयप्रकाश झा द्वारा खुद को लेफ्टिनेंट बताकर रहने के खुलासे के बाद बुधवार को सेना व तेजाजी नगर पुलिस ने उसके घर सर्चिंग की। घर से 154 इंफेंट्री बटालियन लेफ्टिनेंट के फर्जी कार्ड के साथ सैन्य अधिकारिता वर्दी सहित रक्षा संपदा भूमि संबंधी दस्तावेज बरामद हुए हैं। मृतक के भाई चंद्रप्रकाश की मौजूदगी में उसके समर्थ पार्क कॉलोनी स्थित घर पर डेढ़ घंटे चली सर्चिंग में प्रिंटर, हार्डडिस्क सहित कई चीजें भी मिली हैं। सेना व पुलिस जांच कर रही है कि कहीं वह सेना से जुड़ी खुफिया व कैंट एरिया की जानकारी किसी संदिग्ध या आतंकी संगठन को शेयर तो नहीं कर रहा था।
साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि जो दस्तावेज मिले हैं, वह इतनी सख्त चेकिंग के बावजूद बाहर कैसे चले गए। जयप्रकाश के घर से पुलिस को एक काले रंग की कार (एमपी 09 सीजे 7189) व एक दोपहिया वाहन (एमपी 09 यूएम 4585) भी मिला है। कार किसी यश मिश्रा के नाम पर रजिस्टर्ड है। मिश्रा कौन है, इसकी जानकारी निकाली जा रही है। हालांकि जिस कार से एक्सीडेंट हुआ, वह जयप्रकाश के नाम पर रजिस्टर्ड थी।
25 हजार की नौकरी, दो महंगी कार, दो नौकर, कैसे मेंटेन कर रहा
जयप्रकाश की मूल नियुक्ति सिविल सफाईकर्मी के कोटे में हुई थी और वेतन 25 हजार रुपए महीना था। इतने कम वेतन में 30 लाख रुपए की एसयूवी और 8 लाख रुपए की दूसरी कार व दो नौकरों का खर्च वह कैसे उठा रहा था, इसको लेकर पुलिस संपत्ति की जांच कर रही है। सेना में नियुक्ति के नाम पर फर्जीवाड़े, धोखाधड़ी जैसे पहलुओं पर भी पड़ताल की जा रही है।
पुलिस को घर से मिली चिट्ठी लिखा-ससुर आतंकी प्रवृत्ति के
उसके घर से पुलिस को एक पत्र मिला, जिसमें जयप्रकाश ने ससुर पवन झा और ससुराल पक्ष द्वारा प्रताड़ित करने का लिखा है। इसमें उसने यह भी लिखा है कि उसके ससुर आतंकी प्रवृत्ति के हैं। तेजाजी नगर टीआई नीरज मेड़ा के मुताबिक, जयप्रकाश के घर से मिली सभी चीजों की जानकारी सेना को दे दी है। लैपटॉप में कुछ खास नहीं मिला, डाटा रिकवर कर आगे जांच करेंगे।
भाई को बोला था, सेना में रैंक बढ़ गई है
पुलिस ने मृतक के भाई चंद्रप्रकाश से पूछताछ की तो उसने बताया कि पिताजी गांव के स्कूल में प्रधान अध्यापक थे। महू में जब घर आए थे, तो बताया था सेना में उसकी रैंक बढ़ गई है, सब कुछ अच्छा होने वाला है।
पड़ोसी बोले- किसी से नहीं करते थे बात
महू में जयप्रकाश के घर के पड़ोसियों ने बताया कि कई बार जयप्रकाश व घर वालों से बात करने की कोशिश की, पर वे किसी से मिलते तक नहीं थे। सामने से आता देख मोबाइल पर बात करने की नौटंकी करते हुए भीतर चले जाता। कई बार जयहिंद करते तो उसका जवाब भी नहीं देता। जयप्रकाश की काले रंग की कार कुछ दिन पहले भी दुर्घटनाग्रस्त हुई थी। तबसे उसे कवर से ढांककर रखा था।
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