Monday, February 24, 2020

बड़े तालाब और कोलांस को बचाने कैचमेंट के 240 हेक्टेयर में होगी फल-फूल व मसालों की खेती, 51 हजार 330 पौधे भी राेपेंगे

भोपाल .बड़े तालाब और कोलांस नदी के संरक्षण के लिए 15 से ज्यादा छोटे पॉन्ड, 3 चैक डैम बनाए गए हैं। यह जानकारी शनिवार को बैठक में उद्यानिकी विभाग के अफसरों ने कलेक्टर को दी। बैठक में फैसला लिया गया कि मिट्‌टी का कटाव रोकने के लिए इस साल तालाब और कोलांस के कैचमेंट एरिया के 90 हेक्टेयर में 51 हजार 330 फलदार पौधे रोपे जाएंगे। 100 हेक्टेयर में मसाले और सब्जियों की खेती होगी। 50 हेक्टेयर में फूलों की खेती होगी। बैठक में बताया कि 15 से ज्यादा बरसाती नालों की सफाई काम पूरा कर लिया गया है। इसके लिए 16 रिचार्ज शाफ्ट बनाए गए हैं। इस पूरे प्लान का प्रस्ताव कलेक्टर द्वारा शासन की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। भोपाल और सीहोर का कैचमेंट एरिया 30,500 हेक्टेयर है। इसमें भोपाल का 14 हजार 400 हेक्टेयर शामिल हैं। कैचमेंट एरिया में भोपाल के 64 और सीहोर जिले के 24 गांव शामिल हैं।

  • 15 से ज्यादा बरसाती नालोंकी हो चुकी है अब तक सफाई
  • 64 गांव भोपाल के, 24 गांव सीहोर के कैचमेंट एरिया में शामिल
  • 03 चैक डैम बनकर तैयार, 10 और बन जाएंगे इस साल में
  • 16 से ज्यादा रिचार्ज शाफ्ट बनाए, ताकि जलस्तर बना रहे

जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए 50 कम्पोस्ट यूनिट भी लगाई जाएंगी
उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक बीएस कुशवाहा ने बताया कि कैचमेंट के अन्य 50 हेक्टेयर में फूलों की खेती होगी। 100 हेक्टेयर में सब्जी और मसालों की खेती होगी। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए 50 वर्मी कम्पोस्ट यूनिट लगाई जाएगी। इसके लिए करीब 1 हजार किसानों को ट्रेनिंग दी जाएगी। इस प्रोजेक्ट पर 30 लाख रुपए खर्च होंगे।

41 गांव के किसानों को जैविकखेती के लिए करेंगे जागरूक
कलेक्टर ने बताया कि दोनों के कैचमेंट में बसे करीब 41 गांवों के किसानों को जैविक खेती करने की सलाह दी जाएगी। उन्हें स्पेशल ट्रेनिंग दी जाएगी। बड़े तालाब और कोलांस नदी के किनारे 64 गांव बसे हैं, जिसमें 41 गांव भोपाल जिले के हैं। इन गांवों में खुरचनी, कोदिया, कोलूखेड़ी, लाखपुर, लसूड़िया घाट, मालीखेड़ी, मीरपुर, मुंडला, मुंगालिया छाप, नंदनी, नरेला आदि शामिल हैं।

शासन की मंजूरी के बाद होगा काम




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ऐसे 16 रिचार्ज शाफ्ट बनाए गए हैं। इसके बनने से बारिश का पानी बोर के जरिए जमीन के भीतर जाएगा। इससे क्षेत्र में जलस्तर बना रहेगा।
To save big ponds and collons, 240 hectares of catchment will be cultivated in flowers and spices, 51 thousand 330 plants will also be planted.


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