Monday, April 27, 2020

कृषि मंडी में तुलावटी-हम्माली नहीं लेने से किसानों के हर साल बचेंगे 1.35 करोड़ रुपए

मंडी में उपज बेचते समय किसानों को अब तुलावटी व हम्माली की राशि नहीं देना पड़ेगा। इस राशि का वहन सरकार स्वयं करेगी। कृषि मंत्री कमल पटेल ने इस आशय की घोषणा के साथ विभाग को आदेश भेजे हैं। इससे खरगोन की अनाज व कपास मंडी में किसानों का हर साल 1.35 करोड़ रुपए बचेंगे । प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने इसकी घोषणा की है, किसानों ने यह राहत का कदम बताया है। मंडी उपनिरीक्षक रामचंद्र भास्करे ने बताया खरगोन की मंडी में तुलावटी को प्रति क्विंटल 3 व हम्माली 6 रुपए मिलते हैं। यह राशि किसान और व्यापारी मिलकर हम्माल-तुलाई करने वालों काे देते हैं। खरगोन में मंडी औसत 15 लाख क्विंटल कपास और इतना ही गेहूं, मक्का, ज्वार, सोयाबीन, चना, डालर चना, तुवर, मूंग, उड़द आदि अनाज-दलहन, तिलहन नीलामी के माध्यम से व्यापारी खरीदते हैं।

किसान-हम्माल मिलकर चुकाते हैं 2.70 करोड़
हम्माल व तुलावटी को हर साल बिस्टान रोड स्थित अनाज व आनंद नगर स्थित कपास मंडी से औसत 2.70 करोड़ रुपए मजदूरी मिलती है। कृषि मंत्री कमल पटेल ने किसान की राशि तो सरकार के देने की बात कही है। सरकार प्रदेश की सभी मंडियोंमें तुलावटी व हम्माली की दरें समान करने के लिए भी कार्रवाई कर रही है। दोनों मंडियों
में 150 से ज्यादा हम्माल-तुलावटी पंजीकृत हैं।

लॉकडाउन से मक्का के भाव गिरे, व्यापारी निष्क्रिय
लॉकडाउन से पोल्ट्री कारोबार व अन्य कारखाने बंद होने से मक्के के भाव में भारी गिरावट आई है। इसके चलते मंडी में व्यापारी निष्क्रिय है। लॉकडाउन के पहले तक 1500 रुपए क्विंटल तक बिका मक्का अब 1100 रुपए के भाव चल रहा है। व्यापारी भी बाजार सामान्य होने की राह देख रहे हैं।

मंडी में किसान व व्यापारी तुलावटी-हम्माली की राशि मिलकर देते हैं। शासन के जो भी आदेश आएंगे उनका पालन करेंगे।
- रामवीरसिंह किरार, मंडी सचिव खरगोन



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Farmers will save Rs 1.35 crore every year by not taking Tulawati-Hammali in agriculture market


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