फरवरी में हर साल की तरह फर्नीचर के नीचे लगने वाले रबर के गुटके बेचने आए गुजरात के 17 मजदूर लॉकडाउन की वजह से शुजालपुर में फंस गए। दो महीने से स्थानीय स्तर पर लोग उनकी मदद कर खाने-पीने का इंतजाम कर रहे थे। एक सप्ताह पूर्व पांच नन्हे बच्चों के आसपास कई बार जहरीले सांप निकलने से भयभीत मजदूर घर जाने के इंतजाम की मदद के लिए विधायक व एसडीएम के पास पहुंचे थे। उन्हें मंगलवार को बस से रवानगी दी गई। सुरेश पिता जयसिंह ने बताया वह आलमपुर गांव जिला अहमदाबाद से रिश्तेदारों के साथ रोजी-रोटी कमाने आए थे। समूह में 15 लोग व 5 बच्चे भी शामिल थे।
रात 12 बजे गुजरात सीमा पर रुके, यहां से कैसे जाएंगे
एक सप्ताह पूर्व जहरीले सांप दो-तीन बार निकले और तब से ही बच्चों की जान को लेकर फिक्र बनी हुई थी। क्विक रिस्पांस टीम ने नायब तहसीलदार पंकज पवैया की सूचना पर सभी का चिकित्सकीय परीक्षण कर उन्हें प्रमाण पत्र दिए। कोरोना का कोई संदिग्ध लक्षण नहीं होने पर उन्हें यात्रा की चिकित्सा की अनुमति दी गई। इसके बाद प्रशासन ने जिला मुख्यालय से आई यात्री बस में सुबह 10 बजे रवानगी दी। एसडीएम ने बताया गुजरात के प्रशासन को सूचना दी है। रवाना हुए मजदूरों में सुरेश, जयसिंह, मुकेश, सजन, राहुल, तेजल, पायल, नंदू, रंजीत, वनराज, सोनल, अस्मिता, मनीषा, राहुल, मेहुल शामिल थे। मजदूरों ने रवानगी से पहले कहा मालवा में लोगों की मोहब्बत और मदद से 2 महीने बिना रोजगार के भी कैसे बीते पता नहीं चला। रात 12 बजे तक मजदूर गुजरात और मप्र की सीमा पर झाबुआ के समीप रोके हुए थे। मजदूरों ने कहा कि ई-पास लेकर जाने वाले बड़े लोगों को रेड जोन में भी जाने दिया जा रहा। हमें रोक दिया। हमारा घर 400 किमी दूर है। कैसे जाएंगे।
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