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कोरोना संकट में संभागायुक्त और नगर निगम प्रशासक की फटकार के बाद नगर निगम में वाहनों को हटाने का सिलसिला जारी है। पूर्व में 31 वाहन हटाए गए थे और शनिवार को ऐसे 19 वाहन हटाए गए जो उन अधिकारियों और कर्मचारियों को अलॉट थे जो कि वाहन रखने की पात्रता ही नहीं रखते। इसमें एक चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ है किजोन क्रमांक 14 विजय नगर के टाइमकीपर की खुद की गाड़ी उसी जोन के सब इंजीनियर को अलॉट थी। यानी कर्मचारी का वाहन ठेके पर चल रहा था। ऐसे अनेक कर्मचारी और अधिकारी हैं
जिन्होंने अपने या अपने किसी खास के वाहन को ठेकेदार से कमीशन की सेटिंग कर निगम में अटैच करवा लिया है और जमकर मुनाफा कमा रहे हैं। अभी तक हटाए गए वाहनों से निगम को कम से कम 15 लाख रुपए माह की बचत होगी। इसे सालाना के रूप में देखा जाए तो करीब 1 करोड़ 80 लाख रुपए बचेंगे और यदि बाकी के उन वाहनों को भी हटाया गया जिनकी जरूरत नहीं है तो लगभग 4 करोड़ रुपए सालाना की बचत कर सकता है निगम। निगमायुक्त आशीष कुमार द्वारा नगर निगम के व्यय में कटौती करने तथा आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने की दिशा में आज 19 वाहनों का आवंटन रद्द किया। जारी आदेश में उल्लेख है कि संभाग क्रमांक 11 के संभागीय अधिकारी विजय वर्मा, संभाग क्रमांक 14 के सहायक यंत्री सुदीप पटेल, उपयंत्री श्रीमती श्रीयांशी श्रीवास्तव, के साथ संभाग क्रमांक 1 से 15 तक के राजस्व निरीक्षकों को आवंटित वाहन वापस लिए गए हैं। उल्लेखनीय है कि संभागायुक्त महेश चन्द्र चौधरी ने समीक्षा बैठक में निर्देश दिए थे कि निगम इस संकट में बचत का फंडा अपनाए।
औचक निरीक्षण किया प्रशासक ने
प्रशासक महेश चन्द्र चौधरी ने शनिवार को आयुक्त आशीष कुमार के साथ आकस्मिक रूप से वर्कशाप का निरीक्षण किया। आपने वर्कशॉप के कार्यों एवं वाहन सुविधाओं की विस्तृत जानकारी ली। इस मौके पर आयुक्त ने बताया कि शहर की सफाई व्यवस्था में लगे वाहन हों या प्रशासनिक व्यवस्थाओं में लगे सभी वाहन कर्मशाला विभाग से ही संधारित होते हैं। यहीं से डीजल प्रदाय किया जाता है। संभागायुक्त श्री चौधरी ने वर्कशॉप परिसर को स्वच्छ रखने और अनुपयोगी तथा कंडम वाहनाें को नियमानुसार नीलाम करने की कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
सब्सिडी जैसे वाहन भी छोड़ें अधिकारी
जिस प्रकार प्रधानमंत्री की अपील पर लाेगों ने गरीबों के लिए गैस सिलेंडर की सब्सिडी छोड़ी, निगम के वे अधिकारी जो एक से डेढ़ लाख रुपए वेतन लेते हैं वो वाहन सुविधा क्यों नहीं छोड़ सकते हैं। पूर्व से ही उपायुक्त पीएन सन्खेरे, कार्यपालन यंत्री पुरुषोत्तम तिवारी और शिक्षा अधिकारी वीना वर्गीस वाहन सुविधानहीं लेती हैं, इनसेबाकी को भी सीख लेनी चाहिए।
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