मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सील और साइन कर फर्जी नोटशीट तैयार कर एक डाॅक्टर से 10 लाख रुपए की ठगी करने का मामला सामने आया है। तीन जालसाजों ने डाॅक्टर को आयुर्विज्ञान केंद्र जबलपुर में रजिस्ट्रार बनाने का झांसा देकर अपने जाल में फंसाया था। वाट्सएप पर मिली नोटशीट की कॉपी लेकर डाॅक्टर सीएम हाउस पहुंचे तो जालसाजी का खुलासा हुआ। इससे सीएम हाउस में हड़कंप मच गया। क्राइम ब्रांच ने डाॅक्टर की शिकायत पर मामला दर्ज कर ठगी करने वाले दो जालसाजों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि तीसरा साथी फरार है। पुलिस का दावा है डाॅक्टर से आरोपी 10 लाख रुपए नहीं ले पाए थे।
एएसपी क्राइम ब्रांच निश्चल झारिया ने बताया कि डाॅ. हरिसिंह चौरसिया शासकीय होम्योपैथिक महाविद्यालय भोपाल में सहायक प्राध्यापक हैं। डाॅ. चौरसिया की मुरार, ग्वालियर निवासी इंद्रजीत से पहचान थी। उनकी इंद्रजीत से करीब चार माह पहले मुलाकात हुई थी। बातचीत में इंद्रजीत ने डाॅ. चौरसिया से कहा कि अब अपने शिवराज जी सीएम बन गए हैं, आपको जबलपुर आयुर्विज्ञान केंद्र में रजिस्ट्रार बनवा देते हैं।
इसके एवज में उनके बीच 10 लाख रुपए में सौदा तय हुआ। इसके बाद उनके बीच कई बार बातचीत हुई। 16 मई को इंद्रजीत ने डाॅक्टर के वाट्सएप नंबर पर हरे कागज में सीएम के नाम से नोटशीट भेजी। इसमें सीएम के साइन और सील लगी थी। दो दिन पहले डाॅक्टर नोटशीट की कॉपी लेकर सीएम हाउस पहुंचे। यहां उन्हें पता लगा कि यह नकली नोटशीट है। मुख्यमंत्री के नाम से धोखाधड़ी का मामला सामने आने के बाद क्राइम ब्रांच को जांच सौंपी गई थी। क्राइम ब्रांच ने मामले में दो आरोपी इंद्रजीत और भोपाल निवासी कंस्ट्रक्शन का काम करने वाले सौरभ मौर्य को गिरफ्तार किया है। फिलहाल उनसे पूछताछ जारी है।
एएसपी झारिया के अनुसार पुलिस की प्रारंभिक पूछताछ में सामने आया है कि इंद्रजीत ने डाॅ. चौरसिया को रजिस्ट्रार बनाने का काम ग्वालियर निवासी शैलेंद्र भदौरिया को दिया था। शैलेंद्र ने भोपाल निवासी सौरभ मौर्य के आफिस में बैठकर कंप्यूटर से नकली नोटशीट तैयार की थी। सौरभ ने ही सीएम के साइन इंटरनेट से निकाल नोटशीट पर चस्पा किए थे। तीनों में जालसाजी की रकम का बंटवारा होना था। इंद्रजीत और सौरभ मौर्य को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि शैलेंद्र भदौरिया अभी फरार है। क्राइम ब्रांच ने दोनों आरोपियों को रिमांड पर लिया है। सौरभ धोखाधड़ी के एक मामले में पिछले दो साल से फरार चल रहा था।
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