1 जुलाई को देवशयनी एकादशी से संत-महात्माओं के चातुर्मास शुरू हो जाएंगे। अश्विन माह अधिक मास होने के कारण संतों को इस बार 4 माह के स्थान पर 5 माह चातुर्मास में व्यतीत करने होंगे। यह संयोग 19 साल बाद बन रहा है। आषाढ़ शुक्ल एकादशी यानी देवशयनी ग्यारस से कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी देवउठनी एकादशी तक संत-महात्मा चातुर्मास व्यतीत करते हैं। संत-महात्मा इस दौरान किसी एक स्थान पर ही निवास कर जन साधना व धर्म प्रचार में तल्लीन रहते हैं। यह 4 माह के होते हैं, लेकिन इस साल संत-महात्माओं को 4 माह 25 दिन का चातुर्मास व्यतीत करना होगा।
पंडित रोहित दीक्षित के अनुसार चातुर्मास 1 जुलाई से शुरू होकर 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी को समाप्त होगा। इसका कारण यह है कि इस बार आश्विन माह अधिक या पुरुषोत्तम मास पड़ रहा है। अधिक मास यानी हिंदू पंचांग के माहों में किसी एक माह को लगातार दो बार पड़ना। अधिक मास हर 3 साल में आता है।
संत-महात्मा बिताते हैं बारिश में चातुर्मास: पं दीक्षित ने बताया कि आयुर्वेद ऋतु कर्म को प्रधान मानता है। यानी ऋतु के अनुसार खान-पान और रहन-सहन वर्षा ऋतु में हमारी पाचन क्रिया कमजोर हो जाती है। इसलिए बारिश में आहार-विहार संतुलित करना चाहिए। हमारे देश में हर चीज धर्म से जोड़ी गई है, इसलिए चातुर्मास की परंपरा है।
श्राद्ध के 1 माह बाद नवरात्र
अधिक मास के कारण चातुर्मास ही प्रभावित नहीं होंगे। बल्कि नवरात्र भी देरी से शुरू होंगे। आमतौर पर श्राद्ध पक्ष समाप्त होते ही सर्वपितृ अमावस्या के तत्काल बाद नवरात्र शुरू हो जाते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। श्राद्ध समाप्ति के एक माह बाद शारदीय नवरात्र प्रारंभ होंगे। इस संयोग के कारण आगामी सभी त्योहार 20 से 25 दिन प्रभावित होंगे।
ऐसे होता है अधिक मास
पं दीक्षित के अनुसार सूर्य वर्ष 365 दिन व 6 घंटे का होता है, जबकि चंद्र वर्ष 354 दिन का। इन दोनों वर्षों के बीच 11 दिन का अंतर है। तीन साल में यह अंतर एक माह के बराबर हो जाता है। इस अंतर की पूर्ति के लिए हिंदू पंचांग में हर तीन साल बाद अधिक मास माना जाता है। इससे सभी त्योहार समय पर मनाए जा सके।
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