कोरोना में मदद के लिए सिर्फ 1.60 लाख कर्मचारियों ने ही मुख्यमंत्री राहत कोष में 30 करोड़ रुपए जमा कराए। प्रदेश में शासकीय,अध्यापक और पंचायत संवर्ग के कर्मचारियों की संख्या 10 लाख के करीब हैं। इन कर्मचारियों का एक दिन का वेतन करीब 83 करोड़ होता है। यह जानकारी सरकार ने प्रदेश भर से इकट्ठा करवाई है जो सोमवार को ही सामने आई है। दरअसल, सरकार ने संगठित और असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे लोगों से कोरोना संक्रमितों की मदद के लिए हाथ बढ़ाने को कहा था। यह मदद स्वेच्छा से करनी थी।
लॉकडाउन की वजह से प्रदेश की वित्तीय स्थिति खासी प्रभावित हुई है। सरकार की आय 60 फीसदी तक घट गई है। पिछले दो महीनों में तो कमाऊ विभागों में वाणिज्यिक कर, आबकारी और पंजीयन एवं मु्द्रांक जैसे विभागों से होने वाली आमदनी खासी प्रभावित हुई है। ऐसे में शासन को रोजमर्रा के खर्चे चलाने में भी दिक्कत हो रही है। केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी के हर महीने मिलने वाले 3 हजार करोड़ रुपए और जीएसटी के मिलने वाली राशि से कर्मचारियों के वेतन संबंधी खर्चे पूरे हो पा रहे हैं।
आदेश के मुताबिक कर्मचारियों को स्वेच्छा से एक दिन का वेतन देना था। वेतन में से कटौती स्वेच्छा के अनुसार होने से विभागाध्यक्षों ने तो बाकयदा इस सर्कुलर को संचालनालय और जिलों में भी जारी नहीं करवाया। इससे अधिकतर कर्मचारियों को इसकी जानकारी भी नहीं लग पाई।
अखिल भारतीय सेवा के अफसरों ने जमा कराए 80 लाख
अखिल भारतीय सेवा के अफसरों ने अपना एक दिन का वेतन कोरोना में मदद के लिए 80 लाख रुपए जमा कराए। इनमें आईएएस, आईपीएस और आईएफएस शामिल हैं।
10 लाख कर्मचारियों का एक दिन का वेतन 83 करोड़: राज्य सरकार को 10 लाख कर्मचारियों के वेतन पर प्रतिदिन 83 करोड़ रुपए खर्च करना होता है, इस लिहाज से इतनी ही राशि कोरोना संक्रमितों की मदद के लिए आना था। जिन कर्मचारियों ने स्वेच्छा से एक दिन का वेतन कटवाया उनमें राज्य प्रशासनिक सेवा, राज्य पुलिस सेवा, वित्त सेवा समेत करीब दो हजार संवर्गों के 1 लाख 60 हजार कर्मचारी शामिल हुए।
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