आषाढ़ कृष्ण पक्ष अमावस्या पर 21 जून को भगवान सूर्य आद्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। भगवान सूर्य के आद्रा नक्षत्र में जाने से अच्छी बारिश का योग बनंेगे। पंडित कौस्तुब तिवारी ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 27 नक्षत्रों में आद्रा को जीवनदायी नक्षत्र माना गया है। आर्द्रा का शाब्दिक अर्थ गीला होता है। इस नक्षत्र से धरती में नमी होती है। इसी नक्षत्र से कृषि कार्य का श्रीगणेश होता है। इसलिए 27 नक्षत्रों में में अन्न-जल से युक्त इस नक्षत्र का विशेष महत्व होता है। राहु को आद्रा नक्षत्र का अधिपति ग्रह माना जाता है। आद्रा नक्षत्र के चारों चरण मिथुन राशि में स्थित होते हैं। जिसके कारण इस नक्षत्र पर मिथुन राशि तथा इस राशि के स्वामी ग्रह बुध का प्रभाव भी रहता है। आषाढ़ कृष्ण पक्ष अमावस्या के दिन भगवान सूर्य 21 जून को रात 11.27 बजे वृद्धि योग,मिथुन राशि में स्थित चंद्र के समय आद्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। आद्रा नक्षत्र में भगवान सूर्य का भ्रमण 5 जुलाई तक रहेगा। इसके बाद दूसरे नक्षत्र पुनर्वसु में भगवान सूर्य का प्रवेश गुरू पूर्णिमा के दिन हो जाएगा। सूर्य के आद्रा कालीन ग्रह स्थिति के अनुसार कुंभ लग्न बनेगा। इससे वर्षा का योग 17 बिस्वा रहेगा।
सूर्य संसार की आत्मा : पंडित तिवारी ने बताया कि ज्योतिष और भारतीय संस्कृति में सूर्य का आद्रा नक्षत्र में प्रवेश बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। भगवान सूर्य ऊर्जा के प्रतिक हैं, आरोग्य के कारक हैं। प्रकाश का पर्याय है और जीवन में उम्मीद के संवाहक हैं। भगवान सूर्य को संसार की आत्मा कहा जाता है और यह प्रकृति का केन्द्र हैं। धरती को अगर माता कहा जाता है तो भगवान सूर्य को पिता का दर्जा प्राप्त है। ज्योतिष में भगवान सूर्य के राशि बदलने और नक्षत्र बदलने पर खास ध्यान दिया जाता है।
विष्णु-महादेव को खीर-आम का भोग: इस वर्ष आर्द्रा के प्रवेश-काल के आधार पर ज्योतिषीय गणना के अनुसार अच्छी वर्षा का योग है। इस नक्षत्र में ‘हरि-हर’ अर्थात भगवान शिव व विष्णु को खीर और आम का भोग लगाकर श्रद्धालुओं को उनकी पूजा- अर्चना करने के साथ दान-पुण्य करना चाहिए। साधु-संतों के साथ ब्राह्मणों व गरीबों को भोजन कराकर व वस्त्र दान करने के साथ गायों को हरा चारा खिलाना चाहिए। पक्षियों के लिए परिंडे भी लगाने चाहिए। विष्णु और शिव की कृपा अपने भक्तों पर हमेशा बनी रहती है।
27 नक्षत्रों में से छठा नक्षत्र आद्रा, चतुर्मेघ नाम का मेघ सक्रिय रहेगा
आद्रा का अर्थ होता है नमी। आद्रा 27 नक्षत्रों में से छठा नक्षत्र है तथा इससे मिथुन राशि का निर्माण होता है। यह केवल एक तारा है। इस वर्ष 21 जून को भगवान सूर्य का जब आद्रा नक्षत्र में प्रवेश होगा तब चतुर्मेघ नाम का मेघ सक्रिय रहेगा और जिसकी सवारी महिष होगी तथा ये समय वायु तत्व प्रधान रहेगा। इस कारण इस वर्ष आषाढ़ से आश्विन चार माह में लगभग 62 दिन बारिश होगी। सूर्य के चार माह में क्रमश: मिथुन, कर्क, सिंह कन्या राशि में रहने तथा रोहिणी का वास समुद्र में होने से ये समय वर्षा के लिए अनुकूल रहेगा अर्थात पूरे देश में पर्याप्त वर्षा होगी।
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