Friday, June 5, 2020

मुक्तिधामों में पौधे लगाने का काम कर रहे हैं राजावत, ताकि यहां पहुंचने पर सभी को मिले छांव

तहसील के तीन गांवों के मुक्तिधाम पर पेड़-पौधे लहलहाने लगे हैं। ये मुक्तिधाम अब पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक मिसाल बन रहे हैं। पर्यावरण प्रेमी मुक्तिधामों को संवारने में जुटे हैं। यहां उद्यानों को विकसित करने में समाजसेवी जितेंद्रसिंह राजावत व साथी तीन वर्ष से प्रयास कर रहे हैं। यहां कि उबड़-खाबड़ जमीन को भी इन्होंने समतल किया है।
राजावत की टीम ने मुक्तिधामों को हरियाली स्थल बनाने का बीड़ा उठाया है। इसकी शुरुआत बंगरेड़ के मुक्तिधाम से 2017 में की। समाजसेवी राजावत मुक्तिधाम में पौधे लगाने के बाद नियमित रूप से पानी भी पिला रहे हैं। इसके लिए मुक्तिधाम में ही निरंतर पौधों की सिंचाई के लिए पानी मिले, इसके लिए एक टंकी निर्माण व वाटर पंप की व्यवस्था भी की है। इनके द्वारा लगाए पौधे अब पेड़ों का आकार लेने लगे हैं। इसी तरह वर्ष 2019 में ग्राम फतेहपुर और 2020 में ग्राम असावता के मुक्तिधामों में भी पौधे लगाकर मानव समाज को एक प्रेरक संदेश देने का प्रयास किया है। तीनों मुक्तिधामों में अब तक 2500 पौधे लगाए जा चुके हैं और समय-समय पर उन्हें नियमित पानी भी दे रहे हैं। पौधों की चिंता इन्हें इतनी कि कहीं कोई पौधों को नुकसान न पहुंचाए, इसके लिए बंगरेड़ और असावता में तो सीसीटीवी कैमरे भी लगवाए हैं।

स्वयं के खर्च से किया काम
ग्राम बंगरेड़ में जितेंद्र द्वारा पर्यावरण की दिशा में निरंतर कार्य किया जा रहा है। मुक्तिधाम स्थल पर उद्यान विकसित किया है। 120 पौधे फिलहाल बड़े भी हो रहे हैं। इनसे अंतिम यात्रा में आने वाले लोगों को छांव मिलेगी। यहां सीसीटीवी कैमरे भी राजावत ने स्वयं के खर्च से लगाए हैं।
प्रकाश पटेल, सरपंच बंगरेड

खुद गर्मी में पहुंचे मुक्तिधाम तो कहीं छांव नहीं थी, तभी से मिली प्रेरणा
वर्ष 2017 में भीषण गर्मी के दौरान अपने गांव बंगरेड़ में अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे, तब उन्होंने देखा कि मुक्तिधाम में केवल एक नीम का पेड़ ही है। दाह संस्कार में शामिल लोगों के लिए धूप में बैठने के लिए कोई छायादार पेड़ नहीं है। सारे लोग छांव की तलाश में उसी पेड़ के नीचे जाकर एकत्रित हो रहे थे। तब से ही दृढ़ निश्चय किया कि क्षेत्र के मुक्तिधामों में ऐसी हरियाली करेंगे कि लोगों को अंतिम संस्कार के दौरान पेड़ों की छाया के लिए कहीं परेशान न होना पड़े। इसकी शुरुआत राजावत ने ग्रह ग्राम बंगरेड़ में 800 विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाकर की। उनका मानना है कि हम प्रकृति के सदैव ऋणी रहते हैं। हमें कोई न कोई ऐसा नैक कार्य जरूर करना चाहिए, जिससे हम समाज को प्रेरणा दे सकें।



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बंगरेड के मुक्तिधाम में पौधों को पानी पिला रहे पर्यावरण प्रेमी राजावत।


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