रेलवे के अफसर अब अपनों को नौकरी देकर उपकृत नहीं कर पाएंगे। रेल मंत्रालय ने इस संबंध में एक आदेश जारी करते हुए कहा है कि नए कार्यस्थल पर कोई भी रेलवे का अफसर फोर्थ क्लास कर्मचारी को नियुक्ति नहीं दे सकेंगे। विजिलेंस सहित विभिन्न स्तरों पर हुईं शिकायतों के बाद रेलवे ने यह निर्णय लिया है। यदि भोपाल रेल मंडल का आंकड़ा देखें तो यहां पर भी ऐसे 400 से ज्यादा फोर्थ क्लास कर्मचारी हैं, जिन्हें कभी न कभी रेलवे के अफसरों ने नौकरी दी और वे परमानेंट हो गए।
रेलवे बोर्ड के एस्टिवलेशमेंट सेक्शन के कार्यकारी निदेशक नवीन अग्रवाल ने इस संबंध में सभी जोन को आदेश जारी कर दिया है। हालांकि जुलाई 2020 में जो नौकरी पर लग चुके हैं या प्रक्रियाधीन हैं, रेलवे उनकी समीक्षा करेगा।
देशभर में रेलवे के करीब सात हजार अफसर ऐसे हैं, जिन्हें नई पोस्टिंग के समय कम से कम एक फोर्थ क्लास कर्मचारी को नियुक्ति देने का अधिकार होता है। पुराने प्रावधान के अनुसार इन अधिकारियों की पदस्थापना तीन साल के लिए होती है, इस दौरान वे तीन लोगों को नियुक्ति दे देते हैं और यह कर्मचारी 120 दिन बाद परमानेंट हो जाते हैं।
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