पीला मोजेक सहित अन्य कारणों से प्रभावित हुई फसलों का बीमा कराने के लिए सहकारी समितियों, को-ऑपरेटिव बैंक की शाखाओं व राष्ट्रीयकृत बैंकों में किसानों की भीड़ रही। देर रात तक अधिकारी-कर्मचारी दस्तावेज लेकर बीमा राशि जमा करते रहे। जिनके पास दस्तावेज थे उनका बीमा तो आसानी से हो गया, लेकिन कई किसान पटवारी प्रमाण पत्र, जमीन की पावती, आधार कार्ड, बैंक पासबुक की फोटो कॉपी जैसे दस्तावेजों के अभाव में बीमा कराने से चूक गए।
जिले में को-ऑपरेटिव बैंक की 16 शाखाओं, 105 सहकारी समितियांे के 18 हजार व राष्ट्रीयकृत बैंकों की 104 शाखाओं में दर्ज 14 हजार किसान ऐसे हैं, जो डिफाल्टर व अऋणी की श्रेणी में आते हैं। शासन ने ऐसे किसानों को भी प्राकृतिक आपदा व अन्य कारणों से खराब हुई फसलों का बीमा कराने का मौका दिया। सोमवार को बीमा कराने का अंतिम दिन था। राष्ट्रीयकृत बैंक, सहकारी समिति व कोआपरेटिव बैंक की शाखाओं में सुबह से देर शाम तक किसानों की भीड़ रही। किसानों ने जमीन की पावती, आधार कार्ड की फोटो कॉपी, पटवारी का फसल संबंधी प्रमाण पत्र, को-ऑपरेटिव व राष्ट्रीयकृत बैंक की पासबुक संबंधी दस्तावेज व जमा कराकर फसलों का बीमा कराया।
दस्तावेज नहीं थे, कई छूटेंगे : लॉकडाउन में बैंक व समितियों के खुले होने की जानकारी नहीं होने पर रविवार को नाम के किसान बीमा कराने पहुंचे थे। सोमवार को इनकी संख्या अधिक रही। कुछ किसान ऐसे थे जिनके दस्तावेज अधूरे थे। अधिकतर किसानों के पास पटवारी का फसल संबंधी प्रमाण पत्र ही नहीं था। ऐसे कुछ लोग सोसायटियों में पहुंचे थे, उन्होंने बताया कि हमारे पास पटवारी का प्रमाण पत्र नहीं है। कुछ दौड़भाग कर प्रमाण पत्र बनवा लाए लेकिन कुछ किसान ऐसा नहीं कर सके।
1.75 करोड़ रुपए बीमा अब तक नहीं मिला किसानों को
भारतीय किसान संघ के जिला संयोजक सुभाष पटेल ने बताया साल 2019 में जिले के करीब 1 लाख किसानों ने अपनी फसलों का बीमा कराया था जिसका करीब 1.75 करोड़ रु. बीमा था। यह बीमा राशि अब तक किसानों को नहीं मिली। सुभाष ने बताया कि इस साल भी अधिक किसान प्रभावित हुए हैं इतनी या इससे अधिक राशि किसानों को बीमा के रूप में मिले तो थोड़ी राहत मिलेगी।
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