एमआईएस-सी...यानी मल्टी सिस्टम इंफ्लामेट्री सिंड्रोम इन चिल्ड्रन। ये काेराेना की वजह से हाेने वाली नई बीमारी का नाम है। ग्वालियर में भी इस बीमारी ने दस्तक दे दी है। पिछले सप्ताह ही इस बीमारी से पीड़ित बच्ची सामने आई। इसे जेएएच में उपचार के बाद ठीक किया जा चुका है।
डॉक्टरों की आशंका है कि यह बीमारी बच्चों में फैल सकती है। इस कारण यदि बच्चे को बुखार आने के साथ शरीर पर लाल चकत्ते हो रहे हैं और उसकी आंखें लाल रहती हैं। साथ ही मुंह और जीभ में छाले हो रहे तो इसे गंभीरता से लें और बच्चे का कोराेना टेस्ट कराएं।
डॉक्टरों के मुताबिक ये नई बीमारी है जो कावासाकी डिसीज शॉक सिंड्रोम (केडीएसएस) से मिलती जुलती है। केडीएसएस आम तौर पर 5 साल से कम उम्र के बच्चों को होता है।
कोरोना एमआईएस-सी में उक्त लक्षणों के साथ उल्टी-दस्त और पेट दर्द भी होता है। इसमें सामान्य दवाओं से बुखार ठीक नहीं होता है। ऐसे में बच्चे काे विशेषज्ञ को दिखाएं। बच्चों में कोविड-19 से जुड़ी ये बीमारी उनके हृदय को लंबे समय के लिए क्षतिग्रस्त कर सकती है। डाॅक्टराें के मुताबिक ज्यादा दिन तक इस बीमारी से पीड़ित रहने वाले बच्चे के हाथों और पैरों की अंगुलियों से त्वचा निकलने लगती है।
इसलिए खतरनाक है ये बीमारी
डाॅक्टराें के मुताबिक काेराेना से जुड़ी एमआईएस-सी बीमारी 3 साल से अधिक अायु के बच्चाें काे हाे सकती है। इससे शरीर में जहरीले तत्व उत्पन्न होकर फैल जाते हैं। कई अंग काम करना बंद कर देते हैं। हृदय की पंपिंग कम होने से धमनियां फट सकती हैं।
ये हैं बीमारी के लक्षण:
- शरीर का रंग पीला या नीला पड़ जाना।
- शरीर पर लाल चकत्ते उठ आना।
- होंठ और जीभ, पीठ पर लाल दाने।
- सीने में दर्द और धडकनों का तेज चलना।
- हाथ पैरों व गर्दन में सूजन और उल्टी-दस्त, पेट दर्द, कमजोरी।
ये बीमारी लाइलाज नहीं है
यह बीमारी लाइलाज नहीं है। समय रहते इसका पता चल जाए तो बच्चा पूरी तरह ठीक हो सकता है। ग्वालियर में जो बच्चा इस बीमारी से पीड़ित मिला था, वह पूरी तरह ठीक हो चुका है। अंचल में किसी भी डॉक्टर के पास इन लक्षणों से पीड़ित बच्चा आता है तो वह उसे जेएएच भेजें।
-डॉ. अजय गौड़, विभागाध्यक्ष, पीड़ियाट्रिक विभाग जीआरएमसी
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