कोरोना का असर अब रिश्तों पर भी पड़ने लगा है। जिला विधिक प्राधिकरण में ही नहीं, बल्कि कुटुंब न्यायालय में भी महिलाएं पति द्वारा भरण-पोषण न दिए जाने की शिकायत लेकर पहुंच रहीं है। हर रोज करीब 5 से अधिक शिकायतें पहुंच रही हैं। कुटुंब न्यायालय की काउंसलर शैल अवस्थी ने बताया कि उनके पास एक महिला आई। भरण-पोषण के मामले में कोर्ट ने अंतरिम राहत देते हुए 10 हजार रुपए की राशि दिए जाने के आदेश दिए थे। पति ने लॉकडाउन के बाद उसे भरण-पोषण देने से मना कर दिया।
उन्होंने बताया कि पति का कहना था कि जब तक संक्रमण का दौर चल रहा है, तब तक वह पत्नी को 5 हजार से अधिक भरण-पोषण नहीं दे सकता। काउंसलर अवस्थी ने दो मामले में काउंसलिंग की, लेकिन बात नहीं बनी, जिसकी रिपोर्ट उन्होंने बनाकर भेज दी। मामले में अब कोर्ट सुनवाई करेगा।
जिला विधिक प्राधिकरण के सचिव संदीप शर्मा ने बताया कि मजबूरी कुछ भी हो, लेकिन पुरुष जिम्मेदारी से नहीं भाग सकते। उनके भरण-पोषण के लिए आपसी समझौते से कम से कम न्यूनतम राशि देना सुनिश्चित तो करें।
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