Wednesday, September 30, 2020

एएचओ ने एक-दूसरे को दिल खाेलकर बांटे नंबर, फीडबैक फॉर्म लोगों तक पहुंचे ही नहीं

पिछले महीने गंदगी भारत छोड़ो अभियान के तहत हुई स्टेट लेवल रैंकिंग में जमकर फर्जीवाड़ा हुआ। रोजाना की सफाई व्यवस्था में भोपाल को सिर्फ 46 नंबर मिले, लेकिन सिटीजन फीडबैक से लेकर ज्वाइंट डायरेक्टर के अभिमत की चार श्रेणियों में 95 से 100 नंबर तक कैसे मिले? इस सवाल का जवाब तलाशने पर पता चला कि बाहरी अधिकारी से मॉनिटरिंग के नाम पर नगर निगम के एएचओ को ही आपस में एक-दूसरे के जोन को नंबर देने को कह दिया गया। स्वच्छता की गतिविधियों से जुड़े रहवासी संघों से फीडबैक लेने को कहा गया। नगरीय आवास एवं विकास विभाग के अफसरों ने सर्वे का सेटअप ही ऐसा बनाया कि सबने एक-दूसरे की कमियों और गलतियों को छुपा लिया।

राेज सफाई...पोर्टल पर अपलोड करना थी
सर्वे में भोपाल को 500 में से 440 नंबर मिले जो 88 प्रतिशत होता है। लेकिन रोजाना की सफाई में हमें 100 में से 46 ही नंबर मिले हैं। इस कैटेगरी में नंबर लेने के लिए रोजमर्रा की साफ सफाई के लिए लिए किए गए कार्यों को एक पोर्टल पर अपलोड करना था। हालांकि अफसर कह रहे हैं कि रोजाना का काम वेबसाइट पर अपलोड नहीं हुआ, इसलिए नंबर कटे लेकिन सच्चाई यह है कि शहर के बड़े हिस्से में सफाई व्यवस्था का स्तर गिर गया है।

एएचओ ने निभाई दोस्ती
बाहरी अधिकारी से मॉनिटरिंग के मामले में तो जोरदार खेल हुआ। विभाग ने नगरपालिकाओं में आपस में बदलकर अफसर भेजे और नगर निगम में एएचओ को आपस में बदला गया। हर एएचओ ने अपने साथी से दोस्ती निभाई और इस कैटेगरी में पूरे 100 नंबर मिल गए।

सिर्फ अपनों का फीडबैक
सिटीजन फीडबैक के लिए एक गूगल शीट बनाई गई थी। रिकॉर्ड पर तो भोपाल से 52 हजार लोगों ने फीडबैक दिया और 99 नंबर मिले। निगम के स्वच्छ भारत मिशन से जुड़े रहवासी संघों और अन्य संगठनों के लोगों के साथ निगम के कर्मचारियों ने यह फीडबैक दिया।

जेडी का फीडबैक भी केवल औपचारिकता
यूएडीडी के ज्वाइंट डायरेक्टर का फीडबैक भी केवल औपचारिकता रह गया। उन्होंने भी बिना अधिक जांचें परखे 95 नंबर दे दिए।

स्वच्छता गतिविधि
स्वच्छता की शपथ जैसे कार्यक्रमों से लिए 100 नंबर रहवासी संघों और संगठनों के सहयोग से शहर में जगह-जगह स्वच्छता की शपथ लेने के कार्यक्रम हुए। उनकी फोटो स्वच्छ मंच के पोर्टल पर अपलोड की गईं और इसमें पूरे 100 नंबर मिल गए।

सिस्टम में सुधार की जरूरत तो है
सिस्टम में सुधार की जरूरत है। इसको तो मैं भी स्वीकार करता हूं। हम नए ट्रांसफर स्टेशन बनाने के साथ प्रोसेसिंग पर भी ध्यान दे रहे हैं। कुछ दिनों में सुधार दिखेगा। मुझे लगता है कि हमें डेली रिपोर्टिंग में भी 90 से अधिक नंबर मिल सकते थे, लेकिन पोर्टल पर अपलोड करने में गफलत हो गई।
- वीएस चौधरी कोलसानी, कमिश्नर, नगर निगम



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