प्रदेश में अब कृषि उपज की खरीद पर व्यापारियों को 1.70% की जगह 0.5% ही टैक्स लगेगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को 12 दिन से हड़ताल पर बैठे मंडी व्यापारियों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ चर्चा के बाद यह घोषणा की। इसके बाद प्रदेश की सभी 272 मंडियों में व्यापारी हड़ताल खत्म करने पर सहमत हो गए। व्यापारी राज्य सरकार के नए माॅडल मंडी एक्ट के कुछ प्रावधानों से नाराज थे। इन प्रावधानों के तहत मंडी प्रांगण के बाहर व्यापारी और किसी कंपनी को प्राइवेट मंडी शुरू करने की अनुमति दे दी गई थी।
लेकिन उन पर कोई मंडी टैक्स नहीं लगाया जा रहा था। हड़ताली व्यापारियों का कहना था कि इससे तो मंडियां और उनमें कारोबार करने वाले व्यापारी पूरी तरह से खत्म हो जाएंगे। सरकार बाहर खरीदारी कर रहे बड़े व्यापारियों से मुकाबले के लिए मंडी टैक्स को घटाए। शिवराज ने व्यापारियों के साथ चर्चा में कहा कि प्राइवेट मंडियों की स्थापना करने वाले खुद ही मेंटेनेंस का काम कर रहे हैं। लेकिन सरकारी मंडियों में रखरखाव सरकार को करना होता है। यह खर्च मंडी टैक्स से आता है। इसलिए वे इसे पूरी तरह खत्म नहीं कर सकते।
लेकिन सरकारी मंडियों के व्यापारी प्रतिस्पर्धा में बने रहें इसलिए मंडी टैक्स को एक निश्चित अवधि के लिए 1.5% से घटाकर 0.5% किया जा रहा है। इसके साथ मंडियों में लगने वाले 0.20% निराश्रित शुल्क को पूरी तरह से खत्म किया जा रहा है। भोपाल मंडी व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष हरीश ज्ञानचंदानी ने बताया कि सरकार ने उनकी मांग मान ली है। इसलिए बुधवार से मंडियों में फिर से नीलामी शुरू हो जाएगी। तुलावटिए और मंडी कर्मचारी भी अपनी हड़ताल खत्म कर चुके हैं। बैठक में प्रदेश के मंडी व्यापारियों के सकल महासंघ के अध्यक्ष गोपाल अग्रवाल, पूर्व मंडी डॉयरेकटर मनोज काला, इंदौर कृषि उपज मंडी के अध्यक्ष संजय अग्रवाल समेत करीब 50 से अधिक मंडियों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
किसानों को बेचना पड़ा 1000 रु. क्विंटल तक सस्ता सोयाबीन : मंडी व्यापारियों की 12 दिन से चल रही हड़ताल से किसान खासे परेशान रहे। सोयाबीन का उत्पादन अतिवृष्टि के कारण बेहद कम रहा था। इसके बाद नीलामी बंद होने से वे रबी की फसल के लिए खाद बीज नहीं खरीद पा रहे थे। ज्यादा जरूरतमंद किसानों को 1000 रुपए क्विंटल तक सस्ती सोयाबीन बेचनी पड़ी।
सरकार को 1024 करोड़ का नुकसान
- 1450 करोड़ रु. की सालाना आय है सरकार की मंडी टैक्स से।
- 170 करोड़ रुपए निराश्रित शुल्क। यह कुल मंडी टैक्स में शामिल है।
- 426 करोड़ रुपए की राशि ही मिलेगी मंडी टैक्स में कमी से।
- 1024 करोड़ रुपए का नुकसान होगा प्रस्तावित कटौती से।
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