केंद्र व राज्य सरकार के मंडी कानून के विरोध में संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने गुरुवार को रैली निकालकर सीएम और पीएम के नाम कलेक्टोरेट में एसडीएम सत्येंद्रसिंह को ज्ञापन सौंपा। मोर्चा पदाधिकारियों ने केंद्र व राज्य सरकारों के कानून को चुनौती दी है। इसमें कहा है कि मंडी के बाहर 50 व्यापारी ही भाव तय कर खरीदी करते हैं। अब अध्यादेश के बाद मंडी के बाहर व्यापारी ज्यादा खरीदेंगे। व्यापारी बढ़ेंगे और दाम भी।
मोर्चा पदाधिकारियों ने कहा कई सालों से जो व्यापारी हैं वहीं खरीदी कर रहे हैं। व्यापारी नहीं बढ़ेंगे। जो व्यापारी मंडी के अंदर कारोबार करता है। वहीं बाहर से करेंगे। अलग से कोई व्यापारी नहीं बढ़ेंगे। यह निजीकरण को बढ़ावा है। इससे किसान को उपज का दाम कम मिलेगा। खरीदी करने वाले व्यापारी उपज लेकर भाग गया तो किसान किससे राशि लेगा। मंडी कर्मचारियों की नौकरी जाएगी और किसानों को व्यापारी लूटेंगे। पदाधिकारियों ने बताया इसके विरोध में 2 अक्टूबर से अनिश्चतकालीन सत्याग्रह करेंगे। इस दौरान अध्यक्ष कमेंद्रसिंह पंवार, उपाध्यक्ष योगेश बर्वे, संयोजक हरेंद्रसिंह सिकरवार, सचिव जितेंद्र किराड़े, सह सचिव शमीम खान आदि मौजूद थे।
पदाधिकारियोंने कहा 48 साल से मंडी बोर्ड, मंडी समितियों के राज्य शासन ने किसी प्रकार का अनुदान, आर्थिक सहयोग नहीं दिया है। राज्य शासन को विभिन्न योजनाओं व वेतन भत्ते के लिए भी राशि उधार के रूप में दी है। यह ब्याज सहित 1248.64 करोड़ है। यह वापस नहीं किया है।
जिले की 7 व प्रदेश की 199 मंडियों में आवक नहीं
कर्मचारियों ने कहा कि जिले की 7 व प्रदेश की 199 मंडियों में आय व आवक शुन्य हो ग हीै। इसके कारण कर्मचारियों का वेतन भुगतान होने में परेशानी आ रही है। चार-पांच कर्मचारियों को वेतन नहीं मिलने व भविष्य की चिंता करते हुए मौत हो चुकी है। प्रदेश में 259 मंडी, 298 उपमंडिया, 13 तकनीकी कार्यालय, 7 आंचलिक कार्यालय व मंडी बोर्ड मुख्यालय के अधिकारी व कर्मचारी 2 अक्टूबर से अनिश्चतकालीन सत्याग्रह करेंगे। आगामी दिनों में आमरण अनशन भी करेंगे। कोई अप्रिय घटना घटती है तो पूरी जिम्मेदारी
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