लगातार घटते कोरोना के नए मरीजों के बीच अब इसमेें अचानक 300 से ज्यादा का उछाल आया है। दरअसल इस आँकड़े के बढ़ने का कारण केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग का वह आदेश है जिसमें आईसीएमआर के पोर्टल पर दर्ज पॉजिटिव मरीजों की संख्या को ही अधिकृत मानने कहा गया है। अभी तक जिला स्तर पर पॉजिटिव मरीजों की संख्या स्टेट पोर्टल पर अपलोड की जाती थी, आईसीएमआर की तुलना में इसकी संख्या कम थी। बताया गया कि पॉजिटिव मरीजों के नाम के आधार पर जिला प्रशासन-स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक नाम, उम्र व पते के मरीजों के कई सैंपल होने पर उनको एक पॉजिटिव में ही जोड़ा जाता था।
अधिकारियों का कहना है कि आईसीएमआर पोर्टल में ऐसे लोगों को चिन्हित करने की व्यवस्था नहीं होने पर उनके नाम हर बार के सैंपल में जुड़ जाते थे। बहरहाल अब सभी को आईसीएमआर पोर्टल के आँकड़े ही लेने के निर्देश दिए गए हैं, जिसके कारण पहली खेप में जिले में 300 से ज्यादा पॉजिटिव मरीज अचानक से बढ़ गए हैं। हालाँकि प्रशासन ने इन बढ़े मरीजों की संख्या को पॉजिटिव केस में जोड़ते हुए उन्हें डिस्चार्ज में भी शामिल कर लिया है। ऐसा करने से जिले में एक्टिव मरीजों की संख्या में कोई फर्क नहीं आया है।
12010 हुई पॉजिटिव संख्या| बुधवार को जिला प्रशासन ने 69 नए कोरोना संक्रमित मिलने के साथ ही जिले में कुल संक्रमितों की संख्या 11629 बताई थी। गुरुवार को 78 नए संक्रमित मिले, जबकि कुल मामले 12010 होना बताया गया। इसमें 303 मरीजों का अंतर आया है। आईसीएमआर के आँकड़े जिले में 12010 मरीज होना बता रहे हैं। इस संख्या में 500 की बढ़ोत्तरी की बात कही जा रही है, संभव है स्वास्थ्य विभाग धीरे-धीरे संख्या बढ़ाएगा।
लोगों ने कई बार टेस्ट कराए| निजी पैथाेलॉजी को कोविड टेस्ट की अनुमति दिए जाने के बाद आँकड़ों का यह अंतर तेजी से बढ़ने की बात की जा रही है। शासकीय जाँच में पॉजिटिव आने के बाद कई लोग अलग-अलग निजी लैबाें में भी जाँच कराते, आईसीएमआर पोर्टल में हर बार उनकी एंट्री नए पॉजिटिव मरीज के रूप में होती थी। ऐसे मरीजों को एक बार ही पाॅजिटिव माना जाता। यही कारण था कि आँकड़ों को लेकर अंतर हो रहा था।
मरीज घटे, लेकिन मौतों की रफ्तार एक जैसी
रिकवरी रेट बेहतर होने के बाद भी कोरोना पीड़ितों की मौतों पर रोक नहीं लग पा रही है। अभी कितने मरीज ऐसे हैं जो गंभीर स्थिति में हैं इसके बारे में प्रशासन कोई जानकारी नहीं दे रहा है। वहीं रोज ही 2-3 मौतें होना इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि गंभीर मरीजाें की संख्या अभी भी बनी हुई है। एक्टिव मरीजों की संख्या लगातार घट रही है, ऐसे में अस्पतालों में मरीजों का दबाव घटा है फिर भी मरीजों की लगातार मौत होना सवालों के घेरे में आते हैं।
पूर्व में मेडिकल, विक्टोरिया या निजी अस्पतालों में मरीज की मौत होने पर अस्पताल प्रबंधन द्वारा बुलेटिन जारी किया जाता था, लेकिन बदली प्रशासनिक व्यवस्था के बाद इसको बंद कर दिया गया है। चर्चा तो यह है कि पूर्व में बड़ी संख्या में कोरोना पीड़ितों की मौत हुई हैं, लेकिन डेथ रेट कम दिखाने के प्रयास में नए मरीज बढ़ने पर उन्हें अब खंडों में शामिल किया जा रहा है। मौतों का सिलसिला ऐसा ही रहा तो अक्टूबर माह के खाते में सबसे ज्यादा मौतें दर्ज हो जाएँगी, पहले 15 दिनों में ही 39 मौतें हो चुकी हैं।
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