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गोरखपुर थाना क्षेत्र स्थित रामपुर छापर की सत्यानंद विहार काॅलोनी में मंगलवार की सुबह एक घर में घुसे चोर को देखकर मकान मालिक द्वारा गोली चलाए जाने व चोर की मौत होने के मामले की हर पहलू से जाँच की जा रही है। जाँच में जुटे पुलिस अधिकारियों का कहना था कि आरोपी एक ही था और उसके पास कोई कट्टा नहीं था ऐसी स्थिति में आत्मरक्षा में फायरिंग की जाना इस बात को उजागर करता है कि गोली दहशत में चलाई गयी है। पुलिस के अनुसार सत्यानंद विहार काॅलोनी निवासी अधिवक्ता विनोद मिश्रा उम्र 53 वर्ष ने पुलिस को बताया था कि रात 3 बजे के करीब दो चोर घर में घुसे थे।
आहट सुनकर पत्नी जाग गयी जिसके बाद चोरों ने उन पर कट्टा तान कर फायर किया लेकिन कट्टा चला नहीं और फिर वे बरामदे में छिपकर दूसरा फायर करने की फिराक में थे। इस बीच उन्होंने अपनी बंदूक से फायर कर दिया था। गोली दरवाजे के पीछे छिपकर खड़े चोर को लगी और उसकी मौत हो गयी थी। मृतक अरूण सोनी उम्र 17 को मृत देखकर दूसरा साथी भाग गया था। इस बयान की कहीं से पुष्टि नहीं हो रही है क्योंकि मृतक अकेला घर में घुसा था और उसके पास कट्टा नहीं था। गृहस्वामी के जागने पर वह दहशत में बरामदे में छिप गया था।
दरवाजा बंद होने पर की फायरिंग
पुलिस के अनुसार आत्मरक्षा की बात तब आती है जब कि गृहस्वामी और चोर के बीच में झूमा-झपटी या हमले जैसी कोई वारदात होती लेकिन चोर डर के मारे बरामदे में दरवाजे के पीछे छिप गया था उसके बावजूद उस पर गोली चलाई गयी। वहीं उसका दूसरा साथी होने व कट्टे की बात जाँच को गुमराह करने की जाना उजागर हुआ है। जाँच के दौरान मकान की छत पर एक जोड़ी जूते बरामद किए गये हैं जिससे यह संकेत मिलते हैं कि चोर अकेला ही घर में घुसा था।
तीन साल से नहीं हुआ लायसेंस रिन्यू
घटना की जाँच के दौरान पुलिस द्वारा बंदूक जब्त कर लायसेंस के दस्तावेजों की जाँच की गयी तो पता चला कि बंदूक का लायसेंस वर्ष 2017 से रिन्यू नहीं कराया गया था। वहीं इस बात की चर्चा थी कि इस दौरान वर्ष 2018 में विस चुनाव व 2019 मे लोस चुनाव होने पर भी शस्त्र थाने में नहीं जमा कराया गया था।
सेल्फ डिफेंस में हत्या अपराध नहीं, फिर पुलिस ने बिना जाँच किए वकील को क्यों भेज दिया जेल ?
कार्यालय संवाददाता, जबलपुर| सेल्फ डिफेंस में की गई हत्या अपराध नहीं है, इसके बावजूद गोरखपुर पुलिस ने बिना जाँच किए हत्या का प्रकरण दर्ज कर वकील विनोद मिश्रा को जेल भेज दिया है। इस पर जिला अधिवक्ता संघ और वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने सवाल खड़े किए हैं।
सेल्फ डिफेंस में ये है प्रावधान - आईपीसी की धारा 96 में प्रावधान किया गया है कि प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं और दूसरों की जान और संपत्ति की सुरक्षा का अधिकार है। ऐसा करते समय यदि कोई मानव वध भी हो जाता है तो वह हत्या की श्रेणी में नहीं आएगा। सेल्फ डिफेंस के संबंध में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के कई न्याय दृष्टांत मौजूद हैं।
पहले जाँच, फिर होनी थी गिरफ्तारी - वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल खरे का कहना है कि यदि सेल्फ डिफेंस में हत्या होती है तो ऐसे मामलों में पुलिस को तत्काल गिरफ्तारी नहीं करनी चाहिए। पहले प्रकरण दर्ज कर जाँच करना चाहिए, सेल्फ डिफेंस का मामला पाए जाने पर क्लोजर रिपोर्ट न्यायालय में दाखिल करना चाहिए।
हमले की आशंका पर भी लागू होता है सेल्फ डिफेंस - वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष दत्त का कहना है कि यदि किसी व्यक्ति को हमले की आशंका भी हो तो वह सेल्फ डिफेंस में हत्या कर सकता है। इसके बाद भी पुलिस ने अधिवक्ता के खिलाफ बिना जाँच के हत्या का प्रकरण दर्ज कर लिया।
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