बाबरी विध्वंस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा सुबूत के अभाव में 32 नेताओं को बरी करने के फैसला उन ताकतों की शर्मनाक पराजय है, जो आजादी के बाद से ही लगातार हिंदुओं की अस्थाआंें को पददलित करते आ रहे हैं। यह बात पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया ने बुधवार को दैनिक भास्कर से चर्चा के दौरान कही। उक्त मामले में आरोपी रहे श्री पवैया ने कहा कि जिस तरह से राम मंदिर के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक था, उसी तरह विशेष अदालत का फैसला भी ऐतिहासिक और स्वागत योग्य है।
श्री पवैया ने कहा कि मैं भारत की न्याय प्रणाली को नमन करता हूं। सारी दुनियां के सामने 28 वर्षों से हिंदू नेताओंं को बदनाम करने की कोशिश की जा रही थी। कांग्रेस की तत्कालीन केंद्र सरकार के इशारे पर जिन कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर षड़यंत्र रचा गया था, वह धाराशायी हो गया। अदालत ने आज स्पष्ट कहा कि छह दिसंबर 1992 की घटना नियोजित षड़यंत्र नहीं था। यह सबकुछ अचानक हुआ।
श्री पवैया ने कहा कि रामजन्म भूमि आंदोलन भारत का अब तक का सबसे व्यापक अहिंसात्मक आंदोलन था। लेकिन ये मैं आज भी कहता हूं कि छह दिसंबर को भी जो भी हुआ वह देश के लिए जरूरी था। आखिर एक विदेशी आक्रांता बाबर की विजय की निशानी को आजाद देश क्यों और कब तक ढोता। कुछ बाबरी आत्माएं हमारे बरी होने पर बौखला रही हैं। न्याय के रास्ते खुले हैं, लेकिन वे जहां भी जाएंगे, मुंह की खाएंगे।
आज वापस आएंगे भाजपा करेगी स्वागत: श्री पवैया गुरुवार शाम को पांच बजे सड़क मार्ग से ग्वालियर लौटेंगे। वे यहां आने के बाद महाराज बाड़ा स्थित हनुमान मंदिर जाएंगे। यहां रामभक्तों से मुलाकात करेंगे। इसके बाद वे भाजपा कार्यालय मुखर्जी भवन पहुंचेंगे, जहां भाजपा की जिला इकाई द्वारा उनका स्वागत किया जाएगा।
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