Monday, November 2, 2020

हवा में धूल कणों की मौजूदगी बढ़ी; फेफड़ों की कार्यक्षमता और इम्युनिटी के लिए ये बहुत घातक

शहर में जैसे-जैसे ठंडक घुल रही है, उसके साथ-साथ बढ़ती धूल (पीएम-10 और पीएम-2.5) चिंता बढ़ाने लगी है। पिछले 6 दिन से शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) लगातार खराब होता जा रहा है। रविवार को यह 176 तक पहुंच गया। जबकि 27 अक्टूबर को एक्यूआई 118 पर था, इसके बाद से लगातार इसमें बढ़ोतरी हो रही है।

उड़ती धूल के कारण पीएम-10 का अधिकतम स्तर 258 और पीएम-2.5 का अधिकतम स्तर 307 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर (एमजीसीएम) तक जा पहुंचा है। वहीं औसत स्तर 161 और 176 एमजीसीएम बना हुआ है। हवा की खराब गुणवत्ता फेफड़ों की हेल्थ और इम्युनिटी के लिए नुकसानदायक है, ऐसे में कोरोना की दूसरी लहर आती है तो परिणाम घातक हो सकते हैं।

पिछले 6 दिनों में हवा की गुणवत्ता की स्थिति

(दिनभर का औसत)

मौसम के बदले तेवर...सुबह से दाेपहर तक 9 घंटे छाई रही धुंध
भाेपाल नवंबर शुरू हाेेते ही शहर में माैसम के तेवर भी बदल गए। रविवार सुबह 5:30 से दाेपहर 2:30 बजे तक 9 घंटे धुंध छाई रही। विजिविलिटी भी 3000 मीटर रही। इसके बाद ही दृश्यता 1000 मीटर से बढ़कर 4000 मीटर हाे सकी थी। माैसम वैज्ञानिक पीके साहा ने बताया कि बर्फबारी के कारण सूखी सर्द हवा आ रही है। वातावरण में नमी भी नहीं है। रात का तापमान भी सामान्य से कम रहा। इस वजह से धुंध छाई। दिन का तापमान 30.0 डिग्री दर्ज किया गया। यह सामान्य से 1 डिग्री कम रहा।

वजह यह भी... पर्यावरणविद सुभाष सी. पांडे कहते हैं कि इन दिनाें किसान नरवाई जला रहे हैं। इसमें धूल कण, वाहनाें का धुआं ये सभी शामिल हैं। इसे स्माेग कहा जाता है। वायुमंडल ठंडा है, इसलिए धरती से 13-14 फीट ऊंचाई तक छा जाता है।

दूषित हवा की रफ्तार

  • 118 एक्यूआई 27 अक्टूबर की स्थिति में
  • 176 एक्यूआई 1 नवंबर की स्थिति में


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शीतलदास की बगिया।


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