राज्य सरकार ने दो साल पहले मुकदमा प्रबंधन नीति बना ली है, लेकिन अब तक सरकार की मंशा के अनुसार क्रियान्वयन नहीं हो पाया है। यह खुलासा विधि विभाग के बुधवार को सामान्य प्रशासन विभाग कार्मिक को लिखे पत्र में हुआ है।
इसमें कहा गया है कि राज्य की मुकदमा नीति का विभागों ने प्रचार प्रसार नहीं किया, जिससे इसका लाभ कर्मचारियों को नहीं मिल पाया। इसका नतीजा यह रहा कि कर्मचारियों के कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या 1 लाख पार कर गई है। राज्य सरकार के प्रशासनिक मुख्यालय मंत्रालय में ही इस समिति की बीते एक साल बैठक नहीं हुई है। मंत्रालय में इस समिति का अध्यक्ष सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव कार्मिक को बनाया है।
प्रदेश में अधिकारी-कर्मचारियों के हाईकोर्ट जबलपुर समेत ग्वालियर और इंदौर खंडपीठ में एक लाख से ज्यादा मामले 31 दिसंबर तक लंबित हो गए हैं। इनमें अधिकतर मामले बीते 10 सालों से चल रहे हैं, जिन पर सरकार को हर साल 100 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है। कोर्ट में लंबित मामलों के हिसाब से राज्य का हर 5वा कर्मचारी सरकार के खिलाफ कोर्ट में पहुंच गया है।
इसे देखते हुए राज्य सरकार ने नई मुकदमा नीति बनाई थी। इसके अनुसार मंत्रालय के साथ विभागीय स्तर पर समिति गठित होना थी, जिसे कर्मचारियों के मामलों की सुनवाई कर उसका निराकरण करना था। इसके बावजूद नीति का क्रियान्वयन मंत्रालय में ही नहीं हो पाया।
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