दो साल से ड्राइवरों के भरोसे चल रही कचरा कलेक्शन गाड़ियां अब मनमाने रूट पर नहीं चल पाएंगी। निर्धारित मार्ग से हटते उनके लोकेशन कम्प्यूटर पर पता चल जाएगी। कंट्रोल रूम तत्काल ड्राइवरों को अलर्ट कर देगा। यह सब होगा जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) से, जो निगम के 142 वाहनों पर लगना शुरू हो गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 86 डोर टू डोर कचरा कलेक्शन व्हीकल हैं, जिसमें से 40 में गाड़ियों में सिस्टम लगा दिए गए हैं। निगरानी के लिए सिविक सेंटर में कंट्रोल रूम बनेगा। तीन साल तक रिचार्ज और मॉनिटरिंग सहित देखरेख सिस्टम लगाने वाली भोपाल की ठेकेदार कंपनी को ही करना होगी। निगम का मकसद 100 प्रतिशत कचरा उठाना है ताकि थ्री स्टार रेटिंग हासिल की जा सके।
दो साल बाद फिर जीपीएस से निगरानी
बायोमेट्रिक्स हाजिरी लगाना होगी - ड्राइवर और हेल्परों की हाजिरी भी बायोमेट्रिक्स से लगेगी। तीन में से दो बायोमेट्रिक्स मशीन कर्मशाला में, जबकि एक सिविक सेंटर स्थित कंट्रोल रूम में लगेगी। प्रभारी स्वास्थ्य अधिकारी एपी सिंह ने बताया अब तक 40 गाड़ियों में जीपीएस लग गए हैं।
23 व्यक्तियों पर जुर्माना - शनिवार को कचरा फैलाने वाले 23 व्यक्तियों पर जुर्माना लगाया।
इन गाड़ियों में लगा रहे जीपीएस
86 कचरा वाहन
2 काम्पैक्टर
5 डंपर
5 फायर लॉरी
1 क्विक रिस्पांस व्हीकल
4 जेसीबी
1 पोकलेन मशीन
2 संक्शन कम जेटिंग मशीन
1 पशु वाहन
2 लोडिंग कम पैसेंजर
7 अफसरों के वाहन
1 रोड रोलर
7 ट्रैक्टर
1 स्वीपिंग मशीन
5 लोडिंग
12 अन्य वाहन
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