भोपाल .गैंग्स ऑफ ब्लैकमेलर्स को बचाने के लिए जो सीडीआर (मोबाइल नंबरों की कॉल डिटेल) अदालत में पेश की गई है, उसमें इस बात का जिक्र नहीं किया गया है कि आरोपी महिलाओं ने अपने उपयोग के मोबाइल नंबरों से किन-किन नंबरों पर किन लोगों से कितनी बार बातचीत की। जाहिर है कि गैंग्स ऑफ ब्लैकमेलर्स ने जिन लोगों को निशाना बनाया था, उन लोगों से अलग-अलग समय पर अलग-अलग मोबाइल नंबरों से बातचीत की और सौदा पटने पर ही रकम की डिलीवरी भी हुई।
लेकिन जांच एजेंसी ने इस पूरे मामले में ब्लैकमेलिंग के शिकार हुए लोगों की कॉल डिटेल पेश करना मुनासिब नहीं समझा है। यह साफ है कि आरोपियों के चुंगल में आने वाली महिलाओं ने जिन लोगों को ब्लैकमेल किया है, जांच एजेंसी और नामों का खुलासा नहीं करना चाहती है। यहां तक कि उनके मोबाइल नंबर सीडीआर में नहीं बताए गए हैं। चार्जशीट के बाद बड़ा सवाल यह है कि आखिर जांच एजेंसियां किन लोगों को बचाने का प्रयास कर रही हैं?
जांच एजेंसी ने चार्जशीट में पत्रकार गौरव शर्मा और वीरेंद्र शर्मा के शामिल होने की बात कही है, वहीं दोनों ही पत्रकारों की मोबाइल कॉल डिटेल भी अदालत के सामने पेश ना किया जाना जांच एजेंसी की काबिलियत पर सवालिया निशान लगा रहा है?
कोर्ट में पेश चार्जशीट....चार मोबाइल नंबर का किया गया उपयोग
राज्य सायबर पुलिस मुख्यालय में पदस्थ सब इंस्पेक्टर अनुज समाधिया के हस्ताक्षर से ये रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई है। चार्जशीट के साथ मोबाइल नंबर 9171029448, 7024874585, 9424451899, 9171114146 के फिल्टर किए गए सीडीआर की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई है। इन नंबरों का उपयोग गैंग ऑफ ब्लैकमेलर्स की महिला आरोपी श्वेता विजय जैन, आरती दयाल, मोनिका यादव, अभिषेक सिंह द्वारा उपयोग किए जा रहे थे। कोर्ट में पेश रिपोर्ट के मुताबिक इन्हीं चारों के बीच मोबाइल नंबरों पर हुई बातचीत का ब्योरा पेश किया है। इन नंबरों में से एक मास्टरमाइंड श्वेता विजय जैन के बेटे शालीन के नाम पर दर्ज है। सीडीआर में आरोपियों के बीच किस तारीख में कितनी बार, कितनी देर तक बात हुई है इसका पूरा ब्योरा पेश किया है।
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