नगर निगम सफाई के नाम पर बहुत बड़ी राशि खर्च करता है, पिछले साल के बजट की बात करें ताे करीब 86 करोड़ रुपए इस मद के लिए रखे गए थे। बेशक इन दिनों कोरोना का भय है और निगम इसी पर ध्यान दे रहा है लेकिन हम भूल गए कि किस प्रकार दो साल पहले डेंगू और चिकिनगुनिया ने शहर को दहशत में डाल दिया था और कई लोगों की मौतें हुईं थीं। इन दिनों भी ऐसा ही आलम है। लोग कोरोना से जूझ रहे हैं लेकिन चुपके से मच्छरों ने शहर में डेरा डाल लिया है और कभी भी मलेरिया, डेंगू या चिकिनगुनिया का आक्रमण हो सकता है। इसके लिए नगर निगम को इंदौर मॉडल अपनाना होगा जहाँ हर मौसम के हिसाब से गाइडलाइन बनी हुई है और उसी के हिसाब से काम होता है। इन दिनों कोरोना का कहर जारी है और प्रदेश में यदि सबसे अधिक कहीं इसका असर है तो वह इंदौर शहर ही है जहाँ सर्वाधिक मरीज पाए गए हैं। इसके बाद भी इंदौर के अधिकारी यह नहीं भूले कि वहाँ मच्छरों पर भी नियंत्रण करना है और अन्य किसी भी प्रकार का संक्रमण न फैले इसके लिए उन्होंने शहर में लगातार सेनिटाइजेशन तो किया ही, साथ ही फाॅगिंग के जरिए मच्छरों पर भी हमला किया जा रहा है। यहाँ फॉगिंग मशीनों की बात तो की जाती है लेकिन फॉगिंग शहर में होती नहीं है। ऐसे समय में लोग जब घरों में कैद हैं और सुबह-शाम उनके पास केवल बालकनी और छत ही बचता है जहाँ वे थोड़ा समय व्यतीत कर सकते हैं लेकिन ऐसे में मच्छर हमला कर देते हैं, कहीं ऐसा न हो कोरोना के बाद हमें मलेरिया, डेंगू और चिकिनगुनिया से जूझना पड़ जाए।
फॉगिंग होगी तो लोगों का भरोसा भी बढ़ेगा
शहर में कोरोना से तो निगम कर्मी और अधिकारी लड़ रहे हैं इसमें कोई संदेह नहीं है लेकिन शहर में लगातार रोजाना शाम को एक साथ फॉगिंग का धुआँ हो, हैंड स्प्रे हो, कीटनाशकों का छिड़काव हो ताकि मच्छरों पर काबू किया जाए साथ ही इससे लोगों में निगम के प्रति भरोसा बढ़ेगा और इन दिनों वे तनाव में आ गए हैं जिससे बाहर निकलने में भी निगमका यह कार्य मदद करेगा।
यह है निगम की ताकत
नगर निगमके कुल 79 वाॅर्ड हैं जिनमें से 38 वाॅर्डों में सफाई का कार्य ठेके पर होता है, इन कार्यों पर 86 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। बचे हुए 41 वाॅर्ड निगमके हिस्से में हैं और निगमके 1500 नियमित कर्मी हैं, 448 संविदा कर्मी हैं, 1200 ठेके के कर्मी हैं। ठेकेदार की ओर से 220 वाहन चलते हैं, िनगम के अपने खुद के 258 ट्रिपर चलते हैं जो कि डोर टू डोर व्यवस्था में लगे हैं, 200 अन्य वाहन हैं जिनमें जेसीबी, डम्पर, ट्रैक्टर आदि शामिल हैं।
मच्छर हो गए बलवान
नगर निगम के पास 4 बड़ी फॉगिंग मशीनें हैं और हर जोन के लिए 15 हैंड फॉगिंग मशीनें हैं। इनमें मेलाथियॉन और किंगफॉ केमिकल का उपयोग करके निगममच्छरों को मारने का काम करता है लेकिन वर्षों से एक ही दवाई का उपयोग हो रहा है और जानकार कहते हैं किमच्छरों ने इन दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है जिससे अब ये उतनी असरकारी नहीं रही है और यही कारण है किफॉगिंग के बावजूद मच्छर मरते नहीं हैं लेकिन यह तय है किफाॅगिंग का धुआँ उन्हें परेशान करता है और वे या तो दुबक जाते हैं या फिर भाग जाते हैं।
सेनिटाइजेशन के साथ फॉगिंग भी होगी
हम लगातार सेनिटाइजेशन का काम करवा रहे हैं और फॉगिंग भी हो रही है पर अब इसका दायरा बढ़ाया जाएगा। हर जोन में फाॅगिंग के िलए वाहन हैं जिनसे हम मच्छरों पर लगाम कस पाएँगे। इन कार्यों का लगातार निरीक्षण होगा ताकि कर्मी कोई गड़बड़ी न कर पाएँ।
राकेश अयाची, अपर आयुक्त नगर निगम
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