कोविड 19 में अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल में भेजने में हिचक रहे हैं और स्कूल खुलेंगे या नहीं इसको लेकर अब तक कोई फैसला नहीं हो पाया है। इस बीच राज्य शिक्षा केंद्र ने सरकारी स्कूलों को घर पर खोलने का प्लान बना लिया है। इसके लिए केंद्र ने प्रदेश के तमाम जिला शिक्षा केंद्र को फरमान जारी किया है कि कोविड 19 में बच्चे स्कूल नहीं आ पाएंगे ऐसे में घरों में ही स्कूल शुरू करें। घरों में स्कूल जैसा वातारण बनाएं ताकि बच्चा पढ़े तो उसे लगे कि वो स्कूल में पढ़ाई कर रहा है।
सुबह 10 से दोपहर 1 बजे के बीच बच्चों को अपने-अपने घरों में एक स्थान पर बैठाकर पढ़ाई कराने की व्यवस्था की जाए। पढ़ाई शुरू होने से पहले घर का कोई एक सदस्य घंटी या थाली बजाए। इसके पहले वर्क बुक और पाठ्यपुस्तक का वितरण करें और फिर वॉट्सएप ग्रुप बनाएं। इसमें कोर्स की डिटेल अभिभावकों को भेजें कि बच्चों को क्या पढ़ाना है। सप्ताह में जो पाठ पढ़ाना है उसकी डिटेल भेजें। वहीं बच्चे का जिस स्कूल में दाखिला है वहां के शिक्षक पांच घरों की रोज मॉनिटरिंग करें। राज्य शिक्षा केंद्र ने इसे नाम दिया है हमारा घर, हमारा विद्यालय। यह 6 जुलाई से शुरू होगा। इसके पहले 1 से 4 जुलाई के बीच बच्चों को पाठ्यपुस्तकें बांटी जाएंगी। पाठ्यपुस्तकें स्कूलों में भेज दी हैं। इधर, केंद्र ने बजट भी जारी नहीं किया है। ऐसे में बच्चों को घर में स्कूल जैसा माहौल कैसे मिलेगा। क्योंकि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकतर बच्चे गरीब वर्ग के होते हैं। घर में स्कूल जैसा माहौल बनाने के लिए अभिभावक ब्लैक बोर्ड, बैठने के लिए बैंच कहा से लेकर आएंगे। वहीं स्कूलों में टेस्ट भी होते हैं। ऐसे में वो कैसे होंगे। वहीं कई बच्चों के अभिभावक पढ़े लिखे भी नहीं हैं।
ये भी चिंतनीय-नए एडमिशन को लेकर कोई फैसला नहीं
राज्य शिक्षा केंद्र ने घर पर स्कूल लगाने के आदेश जारी कर दिए हैं। लेकिन स्कूलों में एडमिशन को लेकर कोई फैसला नहीं लिया है। नए एडमिशन कब से शुरू होंगे। इसको लेकर कोई फैसला नहीं हो पाया है। इससे जिन अभिभावकों को अपने बच्चों को पहली क्लास में दाखिला दिलाने है वो चिंतित भी हैं। हालांकि अगले महीने इसको लेकर फैसला आ जाएगा।
सरकारी स्कूलों में क्यों शुरू की ऑनलाइन पढ़ाई
मप्र प्रांतीय शिक्षण संस्था संघ के दीपेश ओझा ने बताया कोविड 19 के बीच निजी स्कूलों में ऑनलाइन शिक्षा सरकार ने यह कहते हुए बंद कर दी कि बच्चे इतने समय तक एक स्थान पर कैसे बैठेंगे। लेकिन अब शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की कक्षाएं घर में लगाने जा रहा है।पालक को बैठाना होगा और पढ़ाना होगा : डीपीसी अमर वरधानी ने बताया राज्य शिक्षा केंद्र से हमारा घर हमारा विद्यालय शुरू करने के आदेश मिले हैं। इसमें घर पर ही स्कूल लगाना है। पालक को बच्चों को घर पर बैठाना है और उनकी मौजूदगी में ही बच्चों को पढ़ना है। यानी कि उन्हें ही पढ़ाना है। इसके पहले हम पाठ्यपुस्तक का वितरण करेंगे।
सुरक्षा व पढ़ाई दोनों जरूरी, इसलिए व्यवस्था केे पहले मंथन होना चाहिए
पूर्व डीईओ सुलोचना शर्मा ने बताया घर पर स्कूल जैसा माहौल सभी बच्चों को तो नहीं मिल सकता है क्योंकि किसी परिवार में एक ही कमरा है। वहां पढ़ाई भी होना है और काम भी। ऐसे पैरेंट्स जो सक्षम हैं या पढ़े लिखे हैं व जो समझदार हैं वो तो स्कूल जैसा माहौल बच्चों को दे सकते हैं लेकिन सभी अभिभावक अपने बच्चों को घर में स्कूल जैसा माहौल नहीं दे सकते। अभी कोविड 19 चल रहा है। ऐसे में जितनी जरूरी सुरक्षा है उतनी ही जरूरी शिक्षा है। दरअसल बच्चों को पढ़ाई से जोड़े भी रखना जरूरी है। गैप हो जाएगा तो बच्चों की पढ़ाई के प्रति रुचि खत्म हो जाएगी। हमें बच्चों की सुरक्षा भी देखना है और पढ़ाई भी। इससे जो भी व्यवस्था लागू की जाए उस पर पहले पूरी तरह से मंथन होना चाहिए।
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