2016 में सौंदर्यीकरण के नाम पर अधिकारियों ने रातोड़िया तालाब के पास व सुसनेर रोड पर दूध डेयरी के समीप चल रहे ईंट भट्टों को दूसरी जगह जमीन व सुविधा देने का भरोसा दिलाकर हटा दिया था। अपने वादे के मुताबिक अधिकारियों ने ईंट भट्टा मालिकों को ग्राम पुरासाहब नगर के पास जमीन तो दे दी लेकिन ईंट बनाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण पानी की व्यवस्था करना अधिकारी भूल गए इस कारण 4 साल में मात्र 10 लोग ही पुरासाहब नगर के पास भट्टे लगा पाए बाकी बचे कुछ लोग अन्य जगह भट्टा चला रहे हैं तो 15 से अधिक लोगों को अपना परिवार चलाने के लिए दूसरी जगह मजदूरी करना पड़ रही है।
दोनों जगह से हटाए थे 38 ईंट भट्टे
रातोड़िया तालाब के किनारे लंबे समय से कुम्हार प्रजापति समाज के लोग ईंट भट्टा चलाकर अपने परिवार का गुजारा करते थे। शहर के कई जागरूक नागरिक ईंट भट्टों से निकलने वाले धुएं से प्रदूषण होने की बात कहकर इन ईंट भट्टों को हटाने की मांग करने लगे। इसी बीच रातोड़िया तालाब के सौंदर्यीकरण की योजना बनी और वहां संचालित होने वाले 20 ईंट भट्टों को अधिकारियों ने हटा दिया। इसी प्रकार दूध डेयरी के पास जो 18 भट्टे चल रहे थे उन्हें सिंहस्थ 2016 के अंतर्गत पड़ाव क्षेत्र बनाने व सौंदर्यीकरण के चलते हटाया गया था। इन 38 ईंट भट्टा संचालकों को अधिकारियों ने पुरासाहब नगर के पास 10 हेक्टेयर जमीन में से 100 बॉय 100 के प्लाट दे दिए। करीब 22 ईंट भट्टे के मालिक अभी भी जमीन के लिए अधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं जिन्हें अब तक वहां जमीन नहीं मिल पाई है।
जमीन देने के साथ ही अधिकारियों ने समाज के लोगों को भरोसा दिलाया था कि जल्द ही ट्यूबवेल खुदवाकर यहां पानी की व्यवस्था कर दी जाएगी, लेकिन 43 माह बाद भी उस स्थान पर पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। जो ईंट भट्टे के मालिक आर्थिक रूप से सक्षम थे उन्होंने अपने निजी खर्च से ट्यूबवेल लगवा ली। बिजली की कोई व्यवस्था न होने से इन लोगों ने आपस में राशि इकट्ठी करके न केवल ट्रांसफार्मर लगवाया बल्कि बिजली के पोल भी इन्हें खुद लगवाने पड़े।
विनोद चला रहा ट्रैक्टर, भूरालाल कर रहा मजदूरी
जो लोग आर्थिक रूप से कमजोर थे वे अधिकारियों द्वारा दी गई जमीन पर इसलिए भट्टे नहीं लगा सके, क्योंकि उनके पास इतनी राशि नहीं थी कि वे दूसरी जगह से मिट्टी खरीद सके व पानी के लिए ट्यूबवेल लगा सके। नतीजा यह हुआ कि ईंट भट्टे हटाए जाने से बेरोजगार हुए विनोद पिता कालूराम को परिवार चलाने के लिए ट्रैक्टर चलाना पड़ रहा है, तो भूरालाल, मोहनलाल, गोवर्धन व किशनलाल दूसरी जगह मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। ईंट भट्टे हटाए जाने से बेरोजगार हुए मुन्नालाल प्रजापति का कहना है कि बच्चों की पढ़ाई छुड़वाने की स्थिति आ गई है, क्योंकि उनके स्कूल की फीस भरे या परिवार का खर्च चलाएं।
कार्रवाई की जाएगी
^प्रजापति समाज के लोगों द्वारा आवेदन दिया गया है। खनिज विभाग, आरआई, पटवारी से मामले की जांच करवाई जा रही है। समाज के लोगों ने मप्र गोण खनिज नियम 1996 के नियम 3 के अंतर्गत अनुमति मांगी है। रिपोर्ट आने के बाद नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
आशीष अग्रवाल, तहसीलदार आगर
समाज ने कहा-मिट्टी खोदने की नहीं मिल रही अनुमति
2016 मंे अधिकारियों ने जो पट्टे दिए थे उसकी अवधि 2018 में खत्म हो चुकी है। समाज के गोपाल कुंभकार बताते है कि पट्टे की अवधि खत्म होने से आसपास के ग्रामीण हमारे लिए आरक्षित जमीन पर जबरदस्ती कब्जा कर रहे हैं। अखिल भारतीय प्रजापति समाज महासंघ के प्रमोद कुमार प्रजापति लंबे समय से 15 साल के लिए मिट्टी खोदने के लिए उत्खनन प्रमाण-पत्र दिए जाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अधिकारियों ने अब तक कोई अनुमति नहीं दी। समाज के लोगों का कहना है कि जो लोग ईंट भट्टे चला रहे हैं उन्हें भी हटाए जाने का डर सताने लगा है। ईंट भट्टे हटाने से करीब 400 परिवार के लोगों की रोजीरोटी प्रभावित हुई थी। यदि समस्या का समाधान हुआ तो कितने परिवारों को फिर से रोजगार मिल जाएगा।
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