ग्राम बमनगांव की बसंतीबाई का पति पैरालिसिस है। इलाज के दौरान शुगर पीड़ित बेटे की माैत हाे गई। आर्थिक स्थिति कमजोर होने से मां ने अपना मंगलसूत्र गिरवी रखकर बेटे का अंतिम संस्कार किया। ऐसी स्थिति में प्रशासन तो दूर आसपास के लोगों ने भी पीड़ित परिवार की मदद नहीं की।
बसंतीबाई ने बताया 1 साल पहले सनावद में 18 वर्षीय बेटे आशाराम की जांच में पता चला उसको शुगर है। वह शुगर का इलाज कराते रहे। पिछले सप्ताह उसकी तबीयत ज्यादा बिगड़ी तो परिजन सनावद ले गए। जहां से डॉक्टरों ने उसे खरगोन रैफर कर दिया। खरगोन में दो दिन इलाज के बाद भी कोई सुधार न होता देख वहां से भी इंदौर एमवाय अस्पताल रैफर कर दिया। इंदौर में दो दिन इलाज के बाद शुक्रवार शाम उसकी मौत हो गई। उसे वहां से लाने के लिए परिजनों के पास एंबुलेंस का किराया भी न था। उन्होंने घर जाकर देने की बात कहकर एंबुलेंस वाले को तैयार किया। आशाराम के शव को पैतृक गांव बमनगांव लेकर आए। मां ने एंबुलेंस का किराया 4500 रुपए देने के लिए घर-घर से चंदा एकत्र किए। बेटे का अंतिम संस्कार कराने के लिए भी परिवार के पास रु. नहीं थे। तो मां ने मंगलसूत्र गिरवी रखकर अपने बेटे का अंतिम संस्कार किया।
^ संबंधित बालक का आधार कार्ड नहीं है। इस कारण हम प्रशासनिक कोई मदद नहीं कर सकते हैं। अन्य योजना में कोई लाभ का प्रावधान होगा तो प्रयास किए जाएंगे।
-जगदीश मंसारे, सरपंच प्रतिनिधि बमनगांव
चार बेटे करते हैं मजदूरी, पिता को पैरालिसिस
बसंतीबाई ने बताया मेरे चार बेटे हैं। इनमें से 3 की शादी हाे गई है। वे दिहाड़ी मजदूरी कर अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं। छोटा बेटा आशाराम मेरे पास रहता था। मेरे पति जसवंत 7-8 साल से पैरालिसिस हैं। आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण बेटे इलाज नहीं करा पा रहे थे। किसी महीने इलाज करा लेते तो किसी महीने रु. के अभाव में नहीं करा पाते थे। इसकी वजह से शुगर बढ़ गई और उसने दम तोड़ दिया। घर पर बैनर व पाॅलीथिन लगाकर छत बनाई है। राशनकार्ड से राशन लाकर घर गृहस्थी का गुजर बसर करती हूं। बेटे का आधार कार्ड नहीं बना होने से पंचायत से भी कोई सहायता नहीं मिली।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3hIzrMj
No comments:
Post a Comment