Friday, August 28, 2020

भोपाल में आज बारिश की संभावना, रात काे शहर के कुछ हिस्साें में हुई हल्की बारिश

बंगाल की खाड़ी में कम दबाव के क्षेत्र से अति कम दबाव के क्षेत्र में बदला सिस्टम ओडिशा, झारखंड हाेता हुआ गुरुवार देर शाम छत्तीसगढ़ पहुंच गया। इसका असर मप्र के पूर्वी हिस्से में शुरू हाे गया है। भाेपाल में रात काे शहर के कुछ हिस्साें में हल्की बारिश हुई।

वरिष्ठ माैसम वैज्ञानिक एवं ड्यूटी ऑफिसर एके शुक्ला ने बताया कि भाेपाल में शुक्रवार काे भी बारिश हाेने की संभावना है।

मानसून की विदाई में 24 दिन बाकी, दाे-तीन सिस्टम और करा सकते हैं बारिश
बुधवार को कभी बादल तो कभी धूप छाई रही। 28 और 29 अगस्त को भोपाल में बारिश हो सकती है। क्योंकि बंगाल की खाड़ी में साेमवार काे बना कम दबाव का क्षेत्र वेल मार्क लाे यानी अति कम दबाव के क्षेत्र के रूप में और स्ट्रांग हाे गया है। माैसम वैज्ञानिकाें का कहना है कि इनकी फ्रिक्वेंसी अच्छी है।

अभी मानसून की विदाई में 24 दिन बाकी हैं, ऐसे में दाे-तीन सिस्टम और बन सकते हैं। जो भोपाल समेत पूरे प्रदेश में बारिश करा सकते हैं। वरिष्ठ माैसम वैज्ञानिक एके शुक्ला व पीके साहा के मुताबिक भोपाल में 7 मानसूनी सिस्टम के कारण बारिश होती है। 4 से 26 अगस्त तक बंगाल की खाड़ी में 5 कम दबाव के क्षेत्र बन चुके हैं।

इन सिस्टम से तर हाेता है भोपाल
1. ट्रफ लाइन... यह राजस्थान के गंगानगर से इलाहाबाद से बंगाल की खाड़ी तक जाती है। यह अपनी सामान्य स्थिति से दक्षिण की ओर जाती है, इससे भाेपाल समेत प्रदेश में बारिश हाेती है।
2. मिड ट्राेपाेस्फेरिक साइक्लाेन... यह सिस्टम गुजरात और उसके आसपास बनता है। इसका असर भाेपाल समेत मालवा क्षेत्र में पड़ता है। इससे कभी-कभार यहां बारिश होती है।
3. कम दबाव का क्षेत्र... सामान्यत: बंगाल की खाड़ी में बनता है। पश्चिम या उत्तर पश्चिम दिशा की ओर बढ़कर साागर- दमाेह के पास केंद्रित हाेता है ताे भाेपाल में ज्यादा बारिश होती है।
4. अति कम दबाव का क्षेत्र... यह भी सामान्यत: बंगाल की खाड़ी में बनकर पश्चिम या उत्तर पश्चिम दिशा से मप्र पहुंचता है। यदि यह सागर-दमाेह की तरफ आया और ठहर गया ताे भाेपाल में अतिवर्षा हाेती है।
5. हवा के ऊपरी भाग में चक्रवात...यह 600 मी. से 7.6 किमी ऊंचाई तक हाेता है। यदि यह 7.6 किमी तक बना है तब प्रभाव सबसे अधिक हाेगा।
6. डिप्रेशन यानी अवदाब... कभी-कभी बंगाल की खाड़ी में बना सिस्टम आगे मप्र में डिप्रेशन के रूप में बदल जाता है। 2006 व 2016 में इसने काफी बारिश कराई।
7. विंड सियर जाेन... पूर्वी व पश्चिमी हवा टकराती हैं ताे यह सिस्टम बनता है। 21, 22 अगस्त काे इससे भी बारिश हुई।

गरज- चमक वाले बादल भी कराते हैं बारिश जब तापमान अधिक रहता है और नमी भी ज्यादा रहती है ताे यानी क्यूंबलाे निंबस क्लाउड यानी गरज चमक वाले बादल बनते हैं। यह भी कभी कम या कभी बहुत ज्यादा बारिश कराते हैं। जून और जुलाई के शुरुआती दाैर में ये ज्यादा बनते हैं। मानसून की विदाई 20 सितंबर तक हाेना माना जाता है। इन सिस्टमों के बनने से हल्की या तेज बारिश हो सकती है।



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फाइल फोटो


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