मंडी में हड़ताल क्या हुई, 4 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक बिकने वाले सोयाबीन के दाम 25 सौ रुपए क्विंटल पर आ गए। प्रतिस्पर्धा न होने व किसान के खेत से ही खरीदी करने के कारण व्यापारी औने-पौने दाम में सोयाबीन व मक्का की खरीदी किसानों से कर रहे हैं। किसान भी नई फसल की तैयारी व बाजार से लिया कर्ज चुकाने की मजबूरी में इन्हीं दामों पर उपज को बेच रहे हैं।
कृषि उपज मंडी में गत 25 सितंबर से नए मंडी एक्ट को लेकर मंडी के कर्मचारी हड़ताल पर हैं। सब्जी मंडी, नई कृषि उपज मंडी में नीलामी व खरीदी, बिक्री बंद है। इधर, खेतों में सोयाबीन, मक्का की कटाई शुरू हो गई है। व्यापारी किसानों के खेत व खलिहान तक उपज खरीदी के लिए पहुंच रहे हैं। मंडी बंद होने का असर यह हो रहा है कि किसानों को सोयाबीन व मक्का के दाम समर्थन मूल्य से 30% तक कम मिल रहे हैं। इधर, मंडी के कर्मचारी भी मंडी खुलने के इंतजार में हैं, ताकि वे किसानों को नीलामी के माध्यम से उनकी उपज का उचित दाम दिला सकें।
मंडी में सोयाबीन की आवक प्रतिदिन 6 हजार क्विंटल, 4 हजार तक बिकता है
मंडी प्रभारी नारायण दशोरे ने बताया कृषि उपज मंडी में प्रतिदिन सोयाबीन की आवक 6 हजार क्विंटल है। मंडी खुली रहती है तो किसान को नीलामी में उपज का दाम 2800 से 4 हजार रुपए प्रति क्विंटल मिलता है। मंडी में व्यापारियों के बीच प्रतिस्पर्धा रहने से किसान को दाम अच्छा मिलता है। अब तक मंडी में 30 हजार क्विंटल सोयाबीन की आवक हो गई है।
मक्का काे भी समर्थन नहीं
शासन ने सोयाबीन का समर्थन मूल्य 3860, जबकि मक्का का 1860 रु. प्रति क्विंटल रखा है। व्यापारी सोयाबीन के साथ मक्का भी कम दामों में खरीद रहा है। वह किसान को 700 रुपए क्विंटल तक के दाम दे रहा है, जबकि किसान इस भाव में बेचने को तैयार नहीं।
किसान की पीड़ा... उत्पादन भी घटा, एक एकड़ में 4 क्विंटल ही निकल रहा
किसान सुंदर पटेल पांगरा ने बताया वायरस के चलते सोयाबीन की फल्लियाें में इल्लियां लग गईं, दाने भी कम आए। जब फसल कटने को आई तब बारिश से फल्लियों के दानों में अंकुरण आ गया। ऐसे में औसत 6 क्विंटल प्रति एकड़ की जगह 4 क्विंटल उपज का ही उत्पादन हुआ। किसान जय पटेल ने बताया खलिहान व खेत से बेचने पर किसान को 1500 रु. प्रति क्विंटल का नुकसान हो रहा है। व्यापारी 2200 से 2500 रु. क्विंटल में सोयाबीन मांग रहे हैं।
मंडी एक्ट के विरोध में मंडी में हड़ताल जारी... नए मंडी एक्ट को लेकर मंडी कर्मचारी पांच दिन से हड़ताल पर हैं। कुछ दिन पूर्व भी कर्मचारियांे ने हड़ताल की थी, लेकिन आश्वासन के बाद स्थगित कर दी गई थी। वक्त पर मांगें नहीं मानने पर कर्मचारी दोबारा हड़ताल पर चले गए। भोपाल में लगातार बैठकें हो रही हैं, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल रहा।
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