(सुनील सिंह बघेल) जिला प्रशासन को 40 से ज्यादा बायपेप मशीनें दान में मिलीं। प्रशासन ने यह मशीनें निजी अस्पतालों को उपलब्ध करवाईं, लेकिन अस्पताल प्रबंधन इन मशीनों को कमाई का जरिया बनाकर 3000 से 5000 रोजाना वसूल कर रहे हैं। मशीनों में लगने वाली किट यानी मास्क और पाइप के नाम पर भी दोगुना वसूली की जा रही है। प्रशासन ने कई अस्पतालों को तीन-तीन बायपेप मशीनें उपलब्ध करवाईं, ताकि लोगों की जान बचाई जा सके।
खुद का इंतजाम होने पर चोइथराम जैसे कुछ अस्पतालों ने तो यह मशीनें जिला प्रशासन को वापस कर दीं, लेकिन मयूर, अरिहंत, सुयश, सिनर्जी, विशेष और शैल्बी जैसे अस्पतालों में दान में मिली इन मशीनों के लिए अभी भी व्यावसायिक दरों पर वसूली हो रही है। इनमें से किसी भी अस्पताल में इन मशीनों के लिए किराया 3000 रोजाना से कम नहीं है। ऑक्सीजन के नाम पर रोजाना दो से साढ़े तीन हजार तक अलग से ले रहे।
मशीन किट 1200 की, वसूली 4500 तक
बायपेप मशीन के लिए जरूरी किट की कीमत 1200 रुपए है। बायपेप के लिए जरूरी मास्क की कीमत जीएसटी सहित लगभग 750 रुपए और पाइप लगभग 300 रुपए में आता है, लेकिन अस्पतालों के मेडिकल स्टोर एमआरपी की आड़ में इसे मरीजों को 3000 से ज्यादा में बेच रहे हैं। मरीज बदलने पर ज्यादातर मामलों में सिर्फ मास्क बदला जाता है। इसके लिए 2000 तक लिए जा रहे। सप्लायर से बात करने पर यह भी सामने आया कि अस्पतालों में बायपेप मशीन के मास्क की डिमांड तो है, लेकिन पाइप की नहीं। यानी यह साफ है कि ज्यादातर मामलों में मरीज बदलने पर सिर्फ मास्क बदला जाता है पाइप नहीं। जबकि कीमत पूरी किट की वसूल की जाती है।
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