वाणिज्यिक कर विभाग ने जीएसटी से पहले लागू वाणिज्यिक कर एक्ट, वैट व अन्य एक्ट के तहत साल 1959 से 31 मार्च 2016 तक के लंबित टैक्स डिमांड विवाद निराकरण के लिए समाधान योजना का नोटिफिकेशन कर दिया है। इसमें कारोबारी को टैक्स डिमांड की मात्र 50 फीसदी राशि व ब्याज व पेनल्टी का पांच फीसदी राशि भरने पर केस खत्म हो जाएगा। इस योजना से प्रदेश के 30 हजार से ज्यादा कारोबारियों को राहत मिलेगी।
वरिष्ठ कर सलाहकार आरएस गोयल ने बताया यदि कारोबारी और विभाग के बीच 300 रुपए के टैक्स व इस पर 200 रुपए ब्याज व पेनल्टी मिलाकर कुल 500 रुपए का विवाद है तो कारोबारी टैक्स का 50 फीसदी यानी 150 रुपए और ब्याज-पेनल्टी का पांच फीसदी यानी दस रुपए कुल 160 रुपए भरकर पुराना केस खत्म कर सकता है। हालांकि जिनके यहां छापे पड़ने पर टैक्स डिमांड निकली, उन्हें इसका लाभ नहीं मिलेगा। इस योजना के तहत व्यवसायी को आवेदन करना होगा तथा उस आवेदन के 90 दिन दिवस के भीतर व्यवसाय की बकाया राशि का समाधान कर दिया।
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