हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद नामली के घोटालेबाज सीएमओ अरुण ओझा को पुलिस ने सोमवार को रतलाम में उसके जवाहर नगर स्थित मकान से गिरफ्तार कर लिया। घोटालों के दो मामलों में वह 10 महीने से फरार था। गिरफ्तारी नहीं होने के कारण पुलिस की लापरवाही को लेकर पूर्व नगर परिषद उपाध्यक्ष तूफान सिंह सोनगरा और कांग्रेस नेता दिलीप जाट ने 13 अगस्त को याचिका दाखिल की थी। जिस पर हाईकोर्ट ने पुलिस से जवाब मांगा था। फरार साथी तत्कालीन नगर परिषद अध्यक्ष नरेंद्र सोनावा और ठेकेदार सैयद अख्तर अभी फरार हैं।
नामली के बहुचर्चित प्रधानमंत्री आवास व कोचा तालाब घोटाले में तत्कालीन नगर परिषद अध्यक्ष नरेंद्र सोनावा, मुख्य नपा अधिकारी अरुण ओझा तथा तालाब के ठेकेदार सैयद अख्तर के खिलाफ नामली थाने में प्रकरण दर्ज हुआ है तभी से आरोपी फरार थे। 10 महीने तक गिरफ्तारी नहीं हुई तो 13 अगस्त को पूर्व नप उपाध्यक्ष तूफान सिंह सोनगरा व कांग्रेस नेता दिलीप जाट ने हाईकोर्ट इंदौर में याचिका दायर की।
पहला घोटाला- कोचा तालाब
कांग्रेस नेता दिलीप जाट ने 20 मई 2019 को नामली के कोचा तालाब निर्माण में भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। कलेक्टर ने जांच के लिए टीम गठित की। जांच में स्पष्ट हुआ कि नगर परिषद अध्यक्ष नरेंद्र सोनकर सुनावा सीएमओ अरुण ओझा तथा ठेकेदार सैयद अख्तर ने तालाब निर्माण में भ्रष्टाचार कर राशि का गबन किया है। माप पुस्तिका में जवाबदार अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं होने के बावजूद राशि का भुगतान किया गया है। शासन से प्राप्त 140.29 लाख रुपए के उपयोग में लापरवाही बरती गई है। 1 करोड़ 81 लाख रुपयों का गबन करने के आरोप में 5 जनवरी 2020 को नप अध्यक्ष नरेन्द्र सोनावा, सीएमओ अरुण ओझा तथा ठेकेदार सैयद अख्तर पर प्रकरण दर्ज किया गया।
दूसरा घोटाला- पीएम आवास
नप अध्यक्ष तूफान सिंह सोनगरा व पार्षद प्रकाश कुमावत ने 1 जुलाई 2019 को तत्कालीन कलेक्टर रुचिका चौहान को शिकायत की थी। 10 जुलाई 2019 को जांच अधिकारी पीहू कुरील के नेतृत्व में 10 सदस्यीय दल गठित किया गया था। जांच में स्पष्ट हुआ कि अध्यक्ष नरेंद्र सोनावा व सीएमओ अरुण ओझा द्वारा फर्जी दस्तावेज तैयार कर कलेक्टर द्वारा अनुमोदित सूची छेड़छाड़ कर फर्जी तरीके से पहली सूची में 22 नाम व दूसरी सूची में 66 नाम जोड़ दिए। वहीं आवास के पैसों को अन्य खातों में ट्रांसफर कर राशि में हेराफेरी की गई। 5 अक्टूबर 2019 को तहसीलदार प्रेमशंकर पटेल के आवेदन पर अध्यक्ष सोनावा व ओझा पर 409, 420, 467, 471 व भ्रष्टाचार अधिनियम में प्रकरण दर्ज किया गया था।
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