कोरोना संकट के बीच बुधवार रात साढ़े 8 बजे सीआरपीएफ के एक रिटायर्ड अफसर की तबीयत बिगड़ गई। परिजन उन्हें लेकर कई अस्पतालों में भटकते रहे, लेकिन कहीं वेंटिलेटर खाली नहीं मिला। आखिर में उनकी सांसें थम गईं। परिजन का आरोप है कि समय पर इलाज मिलता तो बच जाती जान। गीता नगर निवासी सीआरपीएफ के रिटायर्ड अफसर महेंद्र कुमार जैन (75) को सीने में तकलीफ होने पर परिजन अरिहंत अस्पताल ले गए।
यहां गंभीर हालत देख और वेंटिलेटर खाली न होने का हवाला देकर दूसरे अस्पताल ले जाने का कहा। जैन के दामाद संदीप जैन ने बताया हम अस्पताल के स्टाफ से इलाज करने का कहते रहे, लेकिन उन्होंने एंबुलेंस बुलवाकर रवाना कर दिया। इसके बाद मैं और परिजन चोइथराम अस्पताल ले गए, लेकिन वहां भी वेंटिलेटर खाली नहीं था। डॉक्टर ने बॉम्बे अस्पताल जाने का कहा, लेकिन वहां भी वहां भी कोरोना के कारण वही स्थिति थी। हारकर हम सुयोग अस्पताल ले गए। हाथ-पैर जोड़े तो स्टाफ इलाज के लिए तैयार हुआ लेकिन तब तक उनकी सांसें थम चुकी थी। समधी प्रकाश जैन ने बताया शुक्रवार को उनके मकान का उद्घाटन होने वाला था और यह घटना हो गई।
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