इंदौर अगर जोन-2 में है तो जोन-4 की प्लानिंग करने से सिवाय पैसों के बर्बादी के कुछ नहीं मिलेगा। एक किमी की मेट्रो लाइन तैयार करने की कास्ट स्टेशन को मिलाकर 90 से 100 करोड़ पड़ती है। दो जोन बढ़ाने से निश्चित ही लागत बहुत बढ़ जाएगी। मेट्रो के काम 24 घन्टे की डेडिकेटेड टीम से ही पूरा होगा। इस तरह के ब्लंडर से प्रोजेक्ट विवादित ही होगा। भारत में कहीं कोई लीगल और टेक्निकल नियम यह नहीं कहता कि जोन बढ़ाया जाए। जब तक मेट्रो का अलग बोर्ड नहीं होगा बदलाव संभव नहीं। वाया डक्ट और स्टेशन का काम तो प्रारंभिक चरण में है। आगे तो कई चुनोतियां आएंगी फिर कैसे काम करेगी इंदौर टीम।
5 किमी का ही टेंडर, फिजूलखर्ची रोक सकते हैं
इंदौर मेट्रो में प्रथम फेज में 5.27 किमी के लिए 228.96 करोड़ का काम शुरू किया गया, लेकिन एक भी पिलर तैयार नहीं हुआ है। जोन बदलने से प्रोजेक्ट में लगने वाले अतिरिक्त 25% खर्च रोका जा सकता है। मेट्रो को लेकर मुख्य सचिव आज भोपाल में अफसरों की बैठक लेंगे। उसमें विभिन्न विषयों पर बात होगी।
सॉइल टेस्टिंग रिपोर्ट तक अपूर्व नहीं
- 31.55 किमी के इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट में 5.27 किमी के पहले चरण के लिए 18 सितंबर को दावा किया गया कि कंपनी ने 45 दिन का समय मांगा है। 2 नवंबर को समयसीमा खत्म हुई, काम शुरू नहीं हुआ।
- 5.27 किमी के रूट की साॅइल टेस्टिंग रिपोर्ट भी जनरल कंसल्टेंट ने अप्रूव नहीं की। इस वजह से इंदौर में मेट्रो का एक भी पिलर खड़ा नहीं हो सका।
सांसद ने सीएम को लिखी चिट्ठी
उधर, सांसद शंकर लालवानी ने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी है। इसमें उन्होंने कहा कि इंदौर कोे गलत भूकंप जोन में रखना आपत्तिजनक है। इसकी जांच विशेषज्ञों की टीम से कराना चाहिए। जिम्मेदारों की भूमिका भी देखी जानी चाहिए।
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