जौरा रोड स्थित मैदा फैक्टरी के पीछे पुरुषोत्तम धाम मंदिर पर चल रही भागवत कथा के अंतिम दिन शुक्रवार को कथा वाचक गोवर्धनेश ने कहा कि कृष्ण और सुदामा दो मित्र का मिलन ही नहीं जीव व ईश्वर तथा भक्त और भगवान का मिलन है। जिसे देखने वाले अचंभित रह जाते हैं। भागवत कथा में कृष्ण-सुदामा मिलन का प्रसंग सुन श्रोता भाव-विभोर हो उठे। यहां भगवान पुरुषोत्तम मंदिर का निर्माण के उपलक्ष्य में भागवत कथा का आयोजन किया गया।
कड़ी अहमदाबाद से पधारे कथा वाचक गोवर्धनेश ने कहा कि कृष्ण और सुदामा जैसी मित्रता अब नहीं है। यही कारण है कि आज भी सच्ची मित्रता के लिए कृष्ण सुदामा की मित्रता का उदाहरण दिया जाता है। उन्होंने बताया कि सुदामा के आने की सूचना मिलते ही द्वारिकाधीश नंगे पांव मित्र की अगवानी करने पहुंच गए। भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं सिंहासन पर बैठाकर सुदामा के पांव पखारे।
इस दौरान कृष्ण सुदामा चरित्र प्रसंग पर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे। कथा में प्रसंग सुनाते हुए कहा कि जब सुदामा काफी गरीबी का जीवन व्यतीत कर रहे थे तब उनकी पत्नी ने उनसे श्रीकृष्ण के पास जाने को कहा। सुदामा जैसे ही श्रीकृष्ण से मिलने जाते हैं तो महल के बाहर दरबारी उन्हें रोक देते हैं। सुदामा के आने की सूचना पर श्रीकृष्ण नंगे पैर ही उनके पास दौड़कर आते हैं और गले लगा लेते हैं। बाद में उनके लाए चावल खाकर सुदामा को वह राजा बना देते हैं।
कथा में कथा वाचक ने ग्रामीणों नशा नहीं करने की समझाइश दी, उन्होंने कहा कि नशा नाश की जड़ है। नशे के कारण कई परिवार बर्बाद हो चुके हैं, नशा करने से पैसे की बर्बादी तो होती है साथ ही नशा करने वाला व्यक्ति शरीर से भी खत्म हो जाता है। शराब व नशे के कारण कई परिवार टूटते देखें हैं। इसलिए न ही तो नशा करें और नहीं किसी को करने दें। कथा के अंत में महिला-पुरूषों को नशा नहीं करने की शपथ दिलाई गई। श्रीमद् भागवत कथा का शुक्रवार को हवन भंडारे के साथ समापन किया गया। कथा के अंतिम दिन बड़ी संख्या में महिला-पुरूष कथा श्रवण करने पहुंचे थे।
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