ग्राम पोई में जमीन खाली करवाने के लिए वनकर्मियों पर लगाए मारपीट के आरोपों को विभाग ने गलत ठहराया है। वन अधिकारियों का कहना है शाम 6 बजे से सुबह 6 बजे तक कार्रवाई नहीं करते हैं। संबंधित व्यक्ति पिछले डेढ़ साल से वनभूमि पर कब्जा किए हुए है। यहां पौधारोपण है। गड्ढे खोदने व तार फेंसिंग करने में वनकर्मियों को तबादले की धमकी दी जाती है। ग्राम पोई के विक्रम पिता देवला ने बुधवार को एसपी को वनकर्मियों पर मारपीट करने, बाल काटने व झोपड़ी जलाने की धमकी देने की शिकायत की थी। गुरुवार को उप वनमंडल अधिकारी योहन कटारा ने सफाई दी। उन्होंने कहा ग्राम पोई में विभाग की 350 हैक्टेयर जमीन है। कुछ जमीन पर 1 लाख पौधे लगाना है। यहां गड्ढे व तार फेंसिंग चल रही है। कुछ जमीन पर विक्रम कब्जा कर खेती कर रहा है। हटाने पर फिर कब्जा कर लेता है। वह कार्रवाई पर वन अधिकारियों व कर्मचारियों को तबादला करा देने की धौंस देता है। उसपर 17 दिसंबर को प्रकरण दर्ज किया था। बाल काटने के आरोप बेबुनियाद हैं। वनभूमि से कब्जा हटाना शासन के नियमों के अनुसार है। आदिवासियों को ही वनभूमि पर पट्टा देने का नियम है लेकिन जांच में पाया है कि शिकायतकर्ता पिछड़ी जाति से संबंधित है।
पोई पहुंची पुलिस, नहीं मिले शिकायतकर्ता
गुरुवार दोपहर करीब 1.30 बजे पुलिस ग्राम पोई पहुंची। यहां शिकायतकर्ता की झोपड़ी जली हुई थी। एक खंभे पर रस्सा बंधा मिला। पास ही ब्लेड व बाल भी कटे पड़े हुए थे। बीयर की खोली बोतलें भी पड़ी थी। यहां एक झोपड़ी में बुजुर्ग महिला थी। शिकायतकर्ता विक्रम व अन्य के नहीं मिलने से बयान नहीं हो पाए।
^शिकायत पर शासकीय कार्य में बाधा का केस दर्ज किया है। इसको लेकर जांच की जा रही है।
- एचआर पाल, एसआई
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