भोपाल .प्रदेश के बहुचर्चित सिंहस्थ 2016 में शौचालय साफ-सफाई और एलईडी लाइट घोटाले में ईओडब्ल्यू ने शनिवार को दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की हैं। जबकि दो प्राथमिकी भी दर्ज की गई हैं। शुरुआती जांच में पता चला कि जिम्मेदार अफसरों ने सिंहस्थ के बाद साढ़े तीन करोड़ रुपए से अधिक की एलईडी लाइट गायब कर दी थी। वहीं शौचालय के रखरखाव में 1.31 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भुगतान किया गया था।
उज्जैन में अप्रैल-मई 2016 में सिंहस्थ का आयोजन किया गया था। आयोजन से पहले महाकुंभ में स्नान करने के लिए आने वाले और वहां पर ठहरने वाले श्रद्धालुओं के लिए तमाम सरकारी इंतजाम किए गए थे। उसी इंतजाम के दौरान अफसरों और प्राइवेट फर्म के संचालकों ने मिलकर तमाम गड़बडिय़ां की थी। इसमें श्रद्धालुओं के लिए बनाए गए प्रत्येक पड़ाव स्तर पर पांच सौ शौचालय तथा 10 चेंजिंग रूम की व्यवस्था बनाई गई थी। बहुत सारे शौचालय और चेंजिंग रूम में बिजली नहीं लगी थी। काली चूरी नहीं डाली गई।
नंबर नहीं डाले गए और आवश्यक संख्या में सफाई कर्मचारी नहीं रखे गए थे। बाद में बहुत सारे शौचालय गायब हो गए थे। इसमें नगर निगम के स्वास्थ्य अमले के अफसरों द्वारा 1.32 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भुगतान किया गया था। एफआईआर में नगर निगम उज्जैन और सफाई विभाग के अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है। सिंहस्थ मेला क्षेत्र के लिए एलईडी लाइट खरीदी गई थीं। मेला खत्म होने के बाद 1664 एलईडी कम पाई गईं थी। गुम एलईडी का मूल्य करीब 3.60 करोड़ रुपए था, जिसका भुगतान हो चुका था। ईओडब्ल्यू ने इस घोटाले में नगर निगम उज्जैन के लाइट विभाग के अफसरों को आरोपी बनाया है।
दो प्राथमिकी दर्ज, जांच के दायरे में पीएचई के अफसर : सिंहस्थ में वाटर सप्लाई के लिए डबल रेटिंग के पाइप का लगभग 50 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया था। जिससे शासन को लगभग 35 करोड़ की आर्थिक हानि हुई है। इसी प्रकार फर्जी मस्टर रोल तैयार करके 75 लाख रुपए का भुगतान मजदूरों को दिखाया गया है। दोनों ही मामलों में ईओडब्ल्यू ने पीएचई के अफसरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।
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