जो उपभोक्ता बिजली बिल और मीटर खपत पर नजर नहीं देख रहे हैं, उन लोगों को एवरेज बिल के बहाने दो से तीन महीने में 800 से 900 रुपए की चपत लगाई जा रही है। दरअसल, लाइन लॉस और चोरी से होने वाले घाटे की पूर्ति के लिए बिजली कंपनी जानबूझकर दो से तीन में एक बार बगैर रीडिंग के बिल थमा रही है। पड़ताल में सामने आया- एक माह कम खपत बिल दिया जाता है, फिर अगले माह पूरी यूनिट जोड़ दी जाती है। दूसरे महीने में ज्यादा यूनिट के कारण उपभोक्ता का बिल सब्सीडी से हटकर महंगे टैरिफ से बनता है। अधिकारियाें का कहना है- आंकलित नहीं है पिछले महीने की रीडिंग के आधार पर बिल बने हैं।
इस नं. 7470671912 पर भेजे वाट्सएप
बिजली कंपनी जाेन-2 में बिलाें मेंआई त्रुटियाें काे सुधारने के लिए माेबाइल नंबर जारी किया है। प्रबंधक दीपक मिश्रा ने बताया बिजली बिल सुधारने के लिए माेबाइल नंबर (7470671912) पर शिकायत भेज सकते हैं। 1912 अाैर यू-पे एप पर भी शिकायत कर सकते हैं।
समझें...पहले कम बिल देकर ज्यादा वसूलने का तरीका
मान लीजिए- फरवरी में 120 यूनिट बिजली जलाई। लागू सबसीडी टैरिफ अनुसार बिल 213 रुपए बनेगा। मीटर रीडिंग नहीं ली और 60 यूनिट ही खपत बताकर 100 रु. ही बिल भेज दिया। असल खपत का बिल नहीं बनने से 113 रुपए बचेंगे लेकिन समस्या यहीं शुरू होती है। मान लीजिए मार्च में भी 120 यूनिट बिजली ही जलाई ताे फिर 213 का बिल बनना था। लेकिन फरवरी के बिल की छूटी हुई 60 यूनिट मार्च के बिल में जोड़ दी जाएगी। यानी बिल 180 यूनिट (120+60) से बनेगा। चूंकि सबसीडी और सस्ता टैरिफ 150 यूनिट तक ही है जिसस आप बाहर हो जाएंगे। ऐसे में मार्च में 180 यूनिट का 1274 रुपए का बिल बनेगा। दोनों माह सही खपत पर बिल 426 रु. (213+213) आता। लेकिन चुकाने पड़ गए 1374 रुपए। एक माह में ही 948 रुपए ज्यादा वसूल लिए गए।
सामान्यत: 2000 किलाेवाॅट के पर ऐसे बनता है बिजली बिल
- 0 से 100 यूनिट खपत पर 100 रुपए बिजली बिल आएगा। सबसीडी है।
- 0 से 150 यूनिट खपत पर 383 रुपए बिल आएगा। इसमें भी सरकार की सब्सिडी मिलती है।
- 0 से 151 यूनिट खपत हाेने पर 1042 रुपए का बिल मिलेगा। इसमें सब्सिडी नहीं मिलेगी।
- 0 से 200 यूनिट बिजली जलाई ताे 1643 रुपए का बिजली बिल आएगा।
भोपाल, इंदौर की तरह सेल्फ रीडिंग सिस्टम होशंगाबाद में लागू क्यों नहीं
बिजली कंपनी ने भाेपाल, इंदाैर और जबलपुर में सेल्फ रीडिंग सिस्टम लागू किया है। इसमें उपभोक्ता खुद रीडिंग लेकर व मीटर की फोटो यू-पे मोबाइल एप पर अपलोड कर सकते हैं। ऐसा करने से औसत खपत के हिसाब से बिल जनरेट नहीं हाेते बल्कि उपभाेक्ता द्वारा बताई गई खपत व मीटर के फोटो के आधार पर वास्तविक खपत के आधार पर ही कंपनी बिल जनरेट करेगी। गौरतलब है मप्र सरकार कई मामलों में स्टाम्प खत्म करके स्व घोषणा का फंडा राजस्व कार्यों के लिए लागू कर चुकी हैं। यहां उसे लागू करने से कंपनी बच रही है।
पिछले महीने की खपत से बने हैं बिल : कंपनी
शहर में उपभाेक्ताओंके बिल सुधार के लिए माेबाइल नंबर जारी किया है। सेल्फ रीडिंग सिस्टम शासन स्तर पर पाॅलिसी बनती है। हम कुछ नहीं कर सकते हैं। जाे बिजली बिल उपभाेक्ताओंकाे दिए हैं वह आंकलित नहीं है पिछले महीने की खपत के आधार पर बिल बने हैं। रीडिंग के बाद बिल ऑटाे माइनस प्लस हाे जाता है।
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