लाॅकडाउन के कारण मंडियां बंद है। किसानाें की उपज घर, खलिहान व खेतों में रखी है। जिले से बाहर जाने पर रोक है। ऐसे में कच्ची उपज खराब होने की कगार पर पहुंच गई है। हजारों क्विंटल उपज खराब होने से किसानों को लागत भी नहीं मिल रही। है। सभी तरह की सब्जियाें के साथ अब प्याज भी सड़ने लगा है। ये हालात एक-दो गांव के नहीं बल्कि हर प्याज उत्पादक किसान के खेत की है। सौदा पर्ची से व्यापारियों द्वारा गांवों अपने मुनीम या दलाल भेजकर उपज खरीदी करवाई जा रही है। प्याज दो से चार रुपए किलो भाव दे रहे हैं। ऐसे में किसान उपज बेचने की जगह उसे खेतों में ही सड़ने के लिए छोड़ रहे हैं।
जिला मुख्यालय से करीब 15 किमी दूर ग्राम दारू, दारू का खेड़ा, बिसलवासकलां, जीरन, हरवार सहित आसपास के गांवों में प्याज व सब्जी उत्पादक किसान उपज की लागत नहीं मिल रही है। कोरोना संक्रमण से चलते 20 मार्च तक प्याज के मंडी में अच्छे भाव मिल रहे थे। 25 मार्च से लॉकडाउन होने के बाद मंडियां बंद हो गई। गांव से जिला मुख्यालय व अन्य जिलों में जाने पर रोक लग गई। किसानों ने प्याज सहित टमाटमर, भिंडी सहित अन्य उपज खेत से निकाली। बाहर नहीं जाने के कारण यह खेतों में ही खराब होने लगी। किसानों ने सब्जियां मवेशियों को खिलाना शुरू कर दी।
120 बीघा में प्याज और सब्जी की खेती
ग्राम दारू के किसान ओमप्रकाश पाटीदार, रुघनाथ गोस्वामी, नारायण मेघवाल, कवंरलाल पाटीदार, सुरेश पाटीदार, घनश्याम पाटीदार, सुनील पाटीदार ने बताया गांव में 120 बीघा से अधिक खेतों में प्याज सहित टमाटर, ककड़ी, गिलकी, भिंड़ी, तरोई, लोकी, हरी मिर्ची, धनियां सब्जियां सड़ गई है। लॉकडाउन के कारण सब्जी मंडियां भी बंद रही। गांव से बाहर जाने पर रोक थी। सब्जियां समय पर मंडी में नहीं पहुंची। वहां भाव भी कम मिलने के कारण कई किसानों को उपज ले जाने का भाड़ा भी नहीं मिल रहा था। तो उन्हें सब्जियां मवेशियों को खिलाना ही उचित समझा। गांव में 4 हजार से ज्यादा बोरी प्याज किसानों के घर व खेत पर पड़े है। यदि 4-5 दिन में मंडी नहीं खुली तो प्याज पूरा खराब हो जाएगा।
साैदा पर्ची में 3 से 4 रुपए प्रति किलाे भाव दे रहे व्यापारी
मंडियां बंद हाेने तथा किसानाें के पास रखी उपज समय पर नीलाम नहीं हाे रही थी। शुरू में व्यापारियों ने गांवों में जाकर किसानाें से उपज खरीदी। इसके बाद मुनीम व दलाल गांवों में भेजना शुरू कर दिए। जाे उपज कम भाव में खरीद रहे हैं। आर्थिक तंगी तथा मंडी आने-जाने की परेशानी से बचने के लिए किसान सस्ते भाव में उपज बेच रहे हैं। इसी का उदाहरण जीरन गांव का है। जहां व्यापारी के मुनीम ने किसान के पास जाकर प्याज का साैदा किया। भाव तीन से चार रुपए किलाे बताए। जबकि बाजार में थाेक में भाव 15 रुपए तथा फुटकर में 25 रुपए किलो तक है। व्यापारियों ने भाव सुनते ही सौदा निरस्त कर मुनीम को वापस भेज दिया। किसान प्रेमसुख पाटीदार, राजेंद्र पाटीदार, सुनील पाटीदार, विनोद कुमार शर्मा ने कहा कि एक बीघा प्याज उत्पादन पर लगभग 20 से 22 हजार रुपए खर्च आता है। लॉकडाउन के कारण मंडियां बंद है। व्यापारियों के मुनीम सौदा पर्ची पर सस्ते दाम पर उपज खरीदकर मुनाफा कमाने का प्रयास कर रहे हैं। गांव के किसानों ने इनको प्याज बेचा ही नहीं।
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