कोरोना मरीजों की बढ़ती तादाद के बीच व्यवस्थाएं नाकाफी साबित हो रही हैं। आलम यह है कि मरीजों को हॉस्पिटल जाने के लिए एंबुलेंस का 10-12 घंटे इंतजार करना पड़ रहा है। क्वारेंटाइन सेंटर्स में शिकायतों का अंबार है। डॉक्टर देखते नहीं। चाय, नाश्ता, खाना भी समय पर नहीं मिल रहा है। संदिग्ध मरीजों को इलाज तक नहीं मिल पा रहा।
1. फोन आते रहे, एंबुलेंस नहीं- कोरोना मरीज को 12 घंटे करना पड़ा एंबुलेंस का इंतजार
ओल्ड सुभाष नगर निवासी 24 वर्षीय युवक ने 25 जुलाई को कोरोना की जांच के लिए सैंपल दिया था। 28 की सुबह करीब आठ बजे फोन पर बताया गया कि रिपोर्ट पॉजिटिव है। एंबुलेंस भेजकर कोविड अस्पताल में दाखिल कराया जाएगा। दिनभर में सात-आठ लोगों के फोन आए। युवक ने खुद तीन बार फोन करके डॉक्टर और दूसरे जिम्मेदारों से पूछा कि एंबुलेंस क्यों नहीं आई? हर बार यही जवाब मिला- बस आ रही है। अंत में शाम करीब सात बजे युवक ने किसी परिचित से नंबर लेकर खुद चिरायु फोन लगाकर अपनी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने की जानकारी दी। करीब एक घंटे बाद चिरायु अस्पताल की एंबुलेंस आई और युवक को लेकर गई।
2. श्रमोदय कोविड केयर सेंटर- साढ़े आठ घंटे तक सिर्फ एक चाय के सहारे कोरोना पेशेंट
करोंद निवासी 30 वर्षीय युवक ने 29 जुलाई को सैंपल कराया था। एक अगस्त की सुबह बजे फोन आया कि रिपोर्ट पॉजिटिव है। दोपहर करीब 12:30 बजे एंबुलेंस आई और श्रमोदय कोविड केयर सेंटर ले जाने के लिए रवाना हुई। दूसरे मरीजों को लेते हुए एंबुलेंस दोपहर तीन बजे कोविड केयर सेंटर पहुंची। यहां नर्स ने तीन टेबलेट दी और दाखिल हो गए। शाम 5 बजे चाय दी गई और रात 9 बजे तक कुछ भी खाने को नहीं दिया गया।
3. एम्स में उदासीनता- गेट पर ही रोक दी एंबुलेंस, तीन घंटे बाद आए डॉक्टर, मरीज की एंबुलेंस में ही मौत
नेहरू नगर निवासी 84 वर्षीय सूरजप्रकाश अरोरा की शनिवार सुबह तबीयत बिगड़ी तो पड़ोसी आशीष पोद्दार ने फोन कर हजेला हॉस्पिटल से एंबुलेंस बुलाई। कोरोना के लक्षणों के चलते एम्स रैफर किया। पोद्दार ने बताया कि दोपहर 12 बजे एंबुलेंस एम्स पहुंची तो सिक्युरिटी गार्ड ने गेट के पास ही रोक दिया। करीब तीन बजे डॉक्टर देखने आए और मरीज को मृत घोषित कर दिया। इस बारे में एम्स पीआरओ डॉ. लक्ष्मी प्रसाद का कहना है कि मामला मेरी जानकारी में आया है। ऐसा संभव नहीं है कि तीन घंटे तक गंभीर मरीज को कोई डॉक्टर देखे ही नहीं। इस संबंध में जानकारी जुटा रहे हैं।
146 संक्रमित होम आइसोलेशन में
कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या के बीच जिला प्रशासन ने फैसला किया है कि कोविड पॉजिटिव युवाओं (18 से 35 साल) को अब होम आइसोलेशन में नहीं रखा जाएगा। उन्हें संक्रमित होने या संदिग्ध होने की स्थिति में क्वारेंटाइन सेंटर में रखा जाएगा। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि संक्रमण की रोकथाम की जा सके। जिला प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि युवाओं के मामले में यह देखने में आया है कि वे होम आइसोलेशन में नहीं रहना चाहते। वे बाहर निकलते हैं। ऐसी स्थिति में कई बार इनकी वजह से दूसरों को दिक्कत हो सकती है।
होम आइसोलेशन में...
शनिवार तक की स्थिति में भोपाल के कोविड अस्पतालों और केयर सेंटरों और होम आइसोलेशन में कुल 2177 संक्रमित हैं। इनमें होम आइसोलेशन में 146 लोग हैं। अधिकारियों के मुताबिक धीरे-धीरे इस संख्या में कमी आएगी।
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