शहर में शनिवार को त्याग और बलिदान का पर्व ईद-उल-अजहा सादगी के साथ मनाया गया। कोरोना संक्रमण के चलते लोगों ने घरों में नमाज अदाकर कोरोना से मुक्ति की दुआ मांगी। कुर्बानी भी घरों में रहकर ही दी गई। इस बार लोग एक-दूसरे के गले नहीं मिले, बल्कि सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए दूर से ही मुबारकबाद दी। शासन के नियमों और शहर काजी सै. मुश्ताक अली नदवी की हिदायतों को ध्यान में रखते हुए शहर की मस्जिदों में सुबह ईद की नमाज 6.15 बजे अदा की गई।
नमाज में केवल 5-5 लोग ही शामिल रहे। ऑल इंडिया मुस्लिम त्योहार कमेटी के अध्यक्ष डॉ. औसाफ शाहमीरी खुर्रम ने बताया कि मस्जिदों के अलावा खानकाहों में भी नमाज अदा की गई। नगर निगम के सहयोग से कई मस्जिद परिसर में अस्थाई कुर्बानी स्थल भी बनाए गए थे।
सूना रहा ईदगाह...
इतिहासकारों के मुताबिक इस ईदगाह का निर्माण नवाब परिवार की शाहजहां बेगम ने 1889 के आसपास कराया था। संभवत: तब से अब तक के ज्ञात इतिहास में यह पहला मौका होगा, जब यहां ईद-उल-अजहा की नमाज सामूहिक रूप से नहीं पढ़ी गई। लॉकडाउन के चलते यहां सुबह से ही पुलिस बल तैनात रहा। मस्जिदों की तरह यहां भी 5 लोगों ने नमाज अदा की। फोटो |भास्कर
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