Thursday, October 1, 2020

सांवेर को संवारने के वादों के बीच मुद्दे सिर्फ तीन: जल, फसल और दलबदल; दोनों प्रमुख दलों के बीच प्रतिष्ठा की सबसे बड़ी लड़ाई

(मुकेश माथुर) जल और फसल... सांवेर को संवारने का सपना दिखा रहे दोनों मुख्य प्रत्याशी इन पर खूब बात कर रहे हैं। इधर, जिन्हें वे दिन के उजाले में ये सपने दिखा रहे हैं...। आम लोग। वे जल, फसल नहीं ‘दलबदल’ की बात छेड़ आनंद ले रहे हैं। उन्हें भी पता है। सपना तो सपना ही है। प्रत्याशी की खिंचाई करने का मौका जरूर अपना है।

इंदौर जब कोरोना की आफत झेल रहा है तब जिले के सांवेर में चुनाव का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। निपानिया जैसे बायपास के इस तरफ के इलाके छोड़ दीजिए। शहर की 20 प्रतिशत नई टाउनशिप वाले इस शहरी इलाके में लोग अपार्टमेंट्स में सिमटे हैं। लेकिन बायपास पार गांवों में जाएं या उज्जैन मार्ग पर बढ़ें तो चुनाव की चर्चा है। 19 सितंबर को मुख्यमंत्री ने 178 गांवों के लिए 2398 करोड़ रुपए की नर्मदा योजना का भूमिपूजन किया। किसी भी क्षेत्र में वोट हासिल करने की यह कम कीमत नहीं है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया के सबसे करीबी तुलसी सिलावट की जीत प्रतिष्ठा का प्रश्न जो है। लेकिन, अर्जुन बड़ौदा गांव में कमलनाथ ने हथेली में सोयाबीन लेकर मुद्दा जल से फसल की तरफ मोड़ दिया। कहा- शिवराज मांग कर रहे थे कि किसानों को 40 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर मुआवजा दिया जाए। अब उनकी सरकार है, देते क्यों नहीं?

फसल बर्बादी बड़ा मुद्दा.. 65% लोग कृषि पर निर्भर
अच्छी बारिश के दौर में फसल की बर्बादी का मुद्दा ज्यादा बड़ा है। कम्पेल में महेश चौधरी कहते हैं- तुलसीजी का फोन आया था। मैंने बता दिया। कमलनाथजी ने कर्जे माफ किए हैं। 2.78 लाख रुपए माफ हुए मेरे। हथेली में सोयाबीन लेकर दिया गया संदेश सोचा-समझा था। क्षेत्र में 65 फीसदी से ज्यादा लोग खेती पर निर्भर हैं। 80 फीसदी जमीन पर सोयाबीन बोया जाता है। ऐसे में उपज का 15 फीसदी छोड़ पूरा बर्बाद हो जाए तो मुद्दा यही होना भी चाहिए। बर्बादी का सर्वे भी फिलहाल शुरू नहीं हुआ है। कांग्रेस प्रत्याशी प्रेमचंद गुड्डू भाजपा से आए हैं और जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट कांग्रेस से। प्रतिबद्धताएं पसोपेश में हैं।

मीसाबंदी रहे पिवड़ाय गांव के 65 वर्षीय केदार पटेल जहां तुलसी के पार्टी बदलने को सही ठहराते हैं वहीं अमित चौधरी गुड्डू की कांग्रेस में वापसी के पक्ष में कहते हैं- वे तो सिंधियाजी के ‘कारण’ आए। सिलावट अपने आने की ‘कीमत’ बताएं। ‘सिंधियाजी के कारण’ के भी कई किस्से हैं। दिग्विजय सिंह के नजदीकी रहे गुड्डू ने 2006 में रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा के उद्घाटन में वसुंधरा राजे को बुलाने का विरोध करते हुए पैदल मार्च किया था। अगले दिन यह कहते हुए प्रतिमा को दूध से धोया कि सिंधिया परिवार ही रानी की मौत का जिम्मेदार है। कई विरोधाभासों के बीच तुलसी को भाजपा के संगठन पर भरोसा है तो कांग्रेस को गुड्‌डू के चुनाव प्रबंधन पर।

तुलसी सिलावट (भाजपा)
ताकत: सहज स्वभाव, स्थानीय लोगों से 35 साल से सतत संपर्क। इस बार भाजपा के गांव-गांव में फैले नेटवर्क का साथ।
कमजोरी: जिस तरह सरकार गिराई, उससे लोगों में नाराजगी। वादे ज्यादा करने की छवि, फसल बीमा नहीं मिलने से किसान खफा।

प्रेमचंद गुड्‌डू (कांग्रेस)
ताकत: चुनावी प्रबंधन में माहिर, अलग-अलग सीटों से जीते चुनाव। जमीनी नेता, मजबूत सोशल मीडिया टीम।
कमजोरी: लंबे समय से सांवेर में संपर्क नहीं, दलबदल के आरोप। पार्टी टूटने से क्षेत्र में संगठन कमजोर।

जातिगत समीकरण

जातिगत आंकड़े राजनीतिक दलों के अनुसार अनुमानित​​​​


Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
तुलसी सिलावट (भाजपा) और प्रेमचंद गुड्‌डू (कांग्रेस)। (फाइल फोटो)


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3iiQIeP

No comments:

Post a Comment

Kusal Perera ruled out of India series due to injury: Report

from The Indian Express https://ift.tt/3rf5BoA