Sunday, December 27, 2020

गीता का सार छोटा लेकिन उसकी गहराई का आकलन नहीं कर सकते

शहर में गीता जयंती पर कई कार्यक्रम हुए। गीता जयंती को लेकर संगोष्ठी व व्याख्यान माला का आयोजन किया गया गया। इसमें गीता के सार के साथ ही भगवान श्रीकृष्ण व अर्जुन के बीच हुए संवाद को लेकर चर्चा की गई। गीता का सार सुनने में काफी छोटा लगता है लेकिन जब उसकी गहराई में जाते हैं तो उसकी गहराई का आकलन कोई नहीं कर सकता है।
प्रोफेसर कॉलोनी स्थित डॉ. शिव मंगल सिंह सुमन स्मृति शोध संस्थान में गीता जयंती महोत्सव में मुख्य अतिथि पंडित मुस्तफा आरिफ ने कहा जिसके साथ गीता नहीं वह बिलकुल रीता है। गीता में एकेश्वरवाद और कर्म की प्रधानता है। समाज को एकीकृत करने की प्रकिया है गीता। कुरआन शरीफ के पद्यानुवाद के दस हजार पदों की लंबी पदावली ईश वंदना की रचना पंडित मुस्तफा ने की है। अध्यक्षता कर रहे पत्रकार ऋषि शर्मा स्नेही ने कहा गीता कोई लिखित संविधान नहीं है। वह तो देश काल परिस्थिति अनुसार कर्म की परिणति है। डॉ. मोहन परमार ने अपने आलेख के माध्यम से गीता की विषद व्याख्या की। पंडित अखिल स्नेही ने मंगला चरण से गीता के महानायक श्रीकृष्ण की वंदना के साथ गीता के श्लोकों का सस्वर पाठ किया। राजेश रावल ने गीता के निष्काम कर्मयोग पर अपनी बात कही।
रश्मि उपाध्याय ने गीता का कर्म योग ही हमारे जीवन का आधार बताया। डॉ. शोभना तिवारी ने कहा कि भारत की पुण्य भूमि पर प्रकट हुई गीता विश्व मनीषा की धरोहर है। गीता कोई मृत्यु ग्रंथ नहीं की मृत्यु के पहले व उसके बाद इसका पाठ किया जाए। गीता तो नित्य ही जीवन की संजीवनी है। लक्ष्मण पाठक, कमलेश जोशी, प्रेम कुमार शर्मा, सीमा राठौर, कीर्ति शर्मा, राजेश कोठारी, दिनेशचंद्र तिवारी, अपूर्वा शर्मा, आजाद भारती, प्रतिष्ठा तिवारी सहित अन्य मौजूद थे।

मनुष्य में अपनी आत्मा के सामने खड़े होने का साहस होना चाहिए : चांदनीवाला
ब्राह्मणों का वास स्थित श्री चारभुजानाथ भवन में श्रीमद्भगवद्गीता के अध्येता मांगीलाल व्यास की स्मृति व्याख्यानमाला का आयोजन किया। इसमें मुख्य वक्ता साहित्यकार डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता भगवान श्री कृष्ण जी के मुख से निकली है। धनुर्धर अर्जुन के सारे प्रश्नों का जवाब श्रीमद्भगवद्गीता में गुरु के रूप में भगवान श्रीकृष्ण ने दिए हैं। इस प्रकार गुरु शिष्य का संवाद गीता है। अध्यक्षता श्री महर्षि श्रृंग विद्यापीठ अध्यक्ष कन्हैयालाल तिवारी ने की। विशेष अतिथि सिखवाल समाज देवस्थान न्यास अध्यक्ष अशोक पांड्या थे। गोपालकृष्ण व्यास, प्रकाश व्यास, राजेंद्र व्यास, पंकज व्यास ने किया ने अतिथियों का स्वागत किया। श्री सिखवाल समाज देवस्थान न्यास के संस्थापक न्यासी बीएल त्रिपाठी, न्यासी महेश व्यास, अनिल पांडया, गोपाल उपाध्याय, एडवोकेट सतीश त्रिपाठी सहित मौजूद थे।

मीराकुटी में मनाई गीता जयंती : गांधी नगर स्थित मीरा कुटी आश्रम पर गीता जयंती मनाई गई। ज्योतिषाचार्य पंडित संजय शिवशंकर दवे के सानिध्य में आश्रम की व्यवस्थापिका गिरिजा कुम्पावत द्वारा गीतामाता की पूजा अर्चना एवं आरती कर प्रसादी का वितरण किया। व्यवस्थापिका गिरिजा कुम्पावत ने बताया आश्रम की स्थापना 1960 के दशक में परम पूजनीय साध्वी मीरा माताजी ने की थी। तभी से कुम्पावत परिवार द्वारा निरंतर सेवा एवं पूजन कार्य किया जा रहा है।

श्रीमद् भागवत गीता और तुलसी ज्ञान परीक्षा के बांटे पुरस्कार
तुलसी पूजन दिवस व गीता जयंती के उपलक्ष्य में श्रीमद् भागवत गीता व तुलसी ज्ञान परीक्षा का पुरस्कार वितरण समारोह हुआ। युवा सेवा संघ व महिला उत्थान मंडल द्वारा आयोजित प्रथम समृद्धि दरगन, द्वितीय मानस परमार व तृतीय दिव्या पंवार सहित 80 श्रेष्ठ प्रतिभागियों को पुरस्कृत किए गए। सागोद रोड पर कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. अवनिबा मोरी, सहसंचालक परीक्षा विभाग, गुजरात शिक्षा बोर्ड व विशेष अतिथि संजय मिश्रा, भागवताचार्य, संजय दवे, ज्योतिषाचार्य, सुशीला दीदी संचालिका गुरुकुल केन्द्रीय प्रबंधन समिति व ऑल इंडिया महिला उत्थान मंडल, अहमदाबाद, डॉ. धर्मराज सिंह वाघेला, शिक्षाविद व सुश्री रश्मि चतुर्वेदी रहे। बच्चों ने तुलसी पूजन की महिमा पर केंद्रित नाटिका प्रस्तुत की। संघ अध्यक्ष रूपेश सालवी, लोकेंद्रसिंह परिहार, रविंद्र सिंह जादौन, पी पी बाथव, लक्ष्मी नारायण गेहलोत, राकेश परिहार, डॉ. सतीशसिंह, डॉ. ईश्वर बोराना सहित अन्य मौजूद थे।



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