सहायक आबकारी आयुक्त नागेश्वर सोनकेशरी को फर्जी जाति प्रमाण-पत्र से नौकरी हासिल करने के मामले में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। विभाग ने बुधवार को इसके आदेश जारी कर दिए। सोनकेशरी की आबकारी आयुक्त कार्यालय ग्वालियर में जिला आबकारी अधिकारी के पद पर 25 जनवरी 2001 में नियुक्ति हुई थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसे निरस्त कर दिया।
मप्र लोकसेवा आयोग की 1998 में हुई परीक्षा में सोनकेशरी का चयन अनुसूचित जनजाति वर्ग के अभ्यर्थी के रूप में हुआ था। उन्होंने हल्बा जनजाति के सदस्य होने का अस्थाई जाति प्रमाण पत्र दिया। इसके 7 साल बाद 18 अगस्त 2005 में उन्होंने स्थाई जाति प्रमाण-पत्र दिया। इसके संबंध में जब इंक्वायरी हुई तो जांच में असलियत सामने आई। इसी आधार पर सोनकेशरी को सेवा से बर्खास्त करने और 3 माह के वेतन भत्ते के रूप में 1 लाख 6 हजार 680 रुपए देने का आदेश जारी हो गया।
इसके खिलाफ सोनकेशरी हाईकोर्ट चले गए, जहां से उन्हें राहत मिल गई। सरकार अपील में गई। यह मसला सुप्रीम कोर्ट तक भी गया। जहां सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सोनकेशरी की नियुक्ति निरस्त कर उन्हें सेवा से पृथक कर दिया जाए। इसी को आधार बनाते हुए वाणिज्यिक कर विभाग ने 30 दिसंबर को सरकारी सेवा समाप्त कर दी।
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