लाॅकडाउन के एक माह के बाद भी देश के अलग-अलग 17 राज्यों में जिले के 5 हजार मजदूर फंसे हैं। जो लौटकर घर आए उनके पास काम पर्याप्त नहीं है। महाराष्ट्र में फंसे 20 से ज्यादा मजदूर गुरुवार को पैदल ही रवाना हो गए। धुलिया जिले में 1200 मजदूरों ने सोशल मीडिया में वीडियो वायरल कर गुहार लगाई, लेकिन कोई व्यवस्था नहीं हुई। मजदूर कैलाश बिलवे ने बताया कि यहां तहसीलदार के पास गए थे। उन्होंने कहा कि आपके राज्य वाले हमें लिखित में आदेश देंगे तब जाने देंगे। उन्होंने ई पास बनवाने को कहा। गुजरात के तापी जिले में 4 हजार मजदूर दिसंबर से ईंट बना रहे हैं। लॉकडाउन में राशन नहीं मिल रहा है। मजदूर दिनेश गांगले ने बताया कि मप्र सरकार ने मजदूरों को वापस लाने को आदेश दिए है, लेकिन अमल नहीं हो रहा है। एक माह से परेशान हैं। सूरत के बारडोली में फंसे दिनेश सोलंकी, हुकूम गांगले ने बताया कि लोहारी, प्रेमनगर, छोटी ठिबगांव, सगुर भगुर आदि गांव के हैं। सुनवाई नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि मजदूर बार्डर तक आ जाते तो फिर पैदल खरगोन जिले में ही आ जाते।
150 से ज्यादा मजदूरों को स्क्रीनिंग कर यूपी भेजा
जिला पंचायत के तकनीकी सहायक नीरज अमझरे ने बताया कि गुरुवार शाम को 8 बसों में 277 मजदूरों को उप्र भेजा है। डॉ. अनुपम अत्रे ने स्क्रीनिंग की। अब तक 400 से ज्यादा मजदूरों को दूसरे राज्यों में भेजा गया है। गुजरात से 193 मजदूर खरगोन आए हैं। गुजरात बाॅर्डर स्थित पिटोल से 21 मजदूरों को लेकर बस पहुंची है।
कई राज्यों के शहरों में फंसे हैं मजदूर
गुजरात के तापी वियारा में 4 हजार, महाराष्ट्र के धूलिया में 1200, यूपी में 250, राजस्थान में 63, तमिलनाडू में 12 फंसे हैं। आंध्रप्रदेश में 7, तेलंगाना में 26, उड़ीसा में 4, केरल में 11, दिल्ली में 10, कर्नाटक में 41, राजस्थान में 15, चैन्नई में 14, पश्चिम बंगाल में 6, पंजाब में 4, बिहार में 2 और जम्मू में 1 मजदूर व पश्चिम बंगाल में 15 लोग हैं।
की-पैड मोबाइल चलाना नहीं आता, एंड्राइड से बनाना है ई पास
मप्र सरकार ने यात्रियों के लिए ई पास की सुविधा दी है। इसमें मजदूरों को परेशानी आ रही है। मजदूरों को की पैड मोबाइल चलाते नहीं आ रहा है। एंड्राइड मोबाइल से अंग्रेजी में ई पास नहीं बना पा रहे हैं। मजदूरों ने कहा कि आधार कार्ड या मोबाइल सुविधा दी जाना चाहिए।
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