कुपोषण मुक्त अभियान के तहत इस बार जिले के अफसर आंगनबाड़ियों में पोषण आहार देने के साथ आयुर्वेदिक नुस्खे भी अपना रहे हैं। इसके लिए कलेक्टर दीपक सिंह के निर्देश पर विशेष मुहिम के तहत जिले की सभी 2633 आंगनबाड़ियों में अतिकुपोषित और कुपोषित बच्चों की आयुर्वेदिक तेल से रोजाना मालिश की जा रही है।
इसके अलावा जिले की 165 आंगनबाड़ियों को उपस्वास्थ्य केंद्रों से जोड़ा गया है। जहां कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर के द्वारा बच्चों का रूटीन चैकअप और उन्हें सुपुष्टि चूर्ण खिलाया जा रहा है। अफसरों का मानना है कि सुपुष्टि चूर्ण कुपोषण दूर करने में काफी सहायक है। इसके लिए आयुष विभाग की मदद भी ली जा रही है। जिला कार्यक्रम अधिकारी भरत सिंह राजपूत ने बताया मार्च 2021 तक जिले को कुपोषण मुक्त करने का संकल्प लिया गया है। इसके लिए एकीकृत पोषण प्रबंधन रणनीति कार्यक्रम के तहत जिले के सभी अतिकुपोषित और कुपोषित बच्चों का संपर्क एप रजिस्ट्रेशन किया है।
जिले में 5 वर्ष तक के 4898 अतिकुपोषित और 17413 मध्यम कुपोषित बच्चे दर्ज हैं। जिन्हें आंगनबाड़ी केंद्रों पर एएनएम के माध्यम से पांच प्रकार की दवाएं दी जाती हैं। इनमें एमाक्सीसिलिन सीरप, फोलिक एसिड, विटामिन ए, मल्टीविटामिन और एल्बेन्डाजोल शामिल हैं।
एक सप्ताह में बच्चों के 12 फॉलोअप लिए जा रहे हैं। स्क्रीनिंग के दौरान जो बच्चे काफी कमजोर हैं, उन्हें पोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती किया जाता है। कुपोषण मुक्त अभियान को लेकर कलेक्टर सागर द्वारा बारीकी से समीक्षा की जा रही है, इसमें लापरवाही करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई भी होगी।
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